IPO Market ने कैसे बदला पिछले 20 सालों का ट्रेंड !
एक्सपर्टस का मानना है कि निवेशकों और कंपनियों के बीच इस साल चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता कम है। इससे प्राइमरी और सेकेंडरी दोनो बाजारों में मजबूत पॉजिटिव सेंटीमेंट बना हुआ है।

पिछले 20 सालों से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले IPO बाजार में कमजोरी का ट्रेंड देखने को मिला है। पर लोकसभा चुनाव 2024 में यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निवेशक और बाजार यह मानकर चल रहे हैं कि चुनाव के बाद नीतियों के स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं होने वाला। IPO के जरिए दिसम्बर और मार्च तिमाही में रिकॉर्ड पैसे जुटाए गए हैं। अक्टुबर से फरवरी की अवधी में 39 कंपनियों ने अपने IPO से करीब 33,25,307 करोड़ रुपए जुटाए।
लोकसभा चुनाव से पहले
अगर इसकी तुलना 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले के 6 महीने की अवधी से की जाए तो इस दौड़ान 20 कंपनियों के IPO आए थे, जिसके जरिए 4,308 करोड़ रुपए जुटाए गए थे। इससे साफ पता चलता है कि वर्तमान लोकसभा चुनाव से पहले के 6 महीने मे जितने रकम जुटाए गए वो पिछले 4 लोकसभा चुनाव के दौड़ान जुटाई गई कुल राशि का करीब 7 गुना है।
अप्रैल और मई में कई IPO आने की उम्मीद है। एक्सपर्टस का मानना है कि निवेशकों और कंपनियों के बीच इस साल चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता कम है। इससे प्राइमरी और सेकेंडरी दोनो बाजारों में मजबूत पॉजिटिव सेंटीमेंट बना हुआ है।