एलन मस्क की स्टारलिंक को मिलेगी राहत: रिपोर्ट
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भारत सरकार उपग्रह संचार (सैटकॉम) लाइसेंस से जुड़े कुछ सुरक्षा नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आसान बनाने पर विचार कर रही है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहल एलन मस्क की स्टारलिंक और जेफ बेजोस की अमेज़न काइपर जैसी कंपनियों को भारत में उपग्रह-आधारित टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करने में मदद कर सकती है।
सैटकॉम लाइसेंस के लिए नियमों में बदलाव की संभावना
भारत में सैटकॉम लाइसेंस के लिए कंपनियों को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) प्रणाली के तहत 30-40 शर्तों का पालन करना होता है। सरकार इनमें से कुछ शर्तों को आसान बना सकती है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कौन-सी शर्तें बदली जाएंगी। दूरसंचार विभाग (DoT) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों ने हाल ही में इन नियमों में संभावित संशोधनों को लेकर चर्चा की है।
स्टारलिंक और काइपर की लंबित आवेदन
स्टारलिंक और अमेज़न काइपर ने GMPCS लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, लेकिन दोनों कंपनियां अभी तक सभी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाई हैं। स्टारलिंक ने सरकार को बताया है कि सैटकॉम नियमों को वैश्विक मानकों के अनुरूप होना चाहिए, क्योंकि ये सेवाएं विश्व स्तर पर संचालित होती हैं। दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा कि स्टारलिंक आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की प्रक्रिया में है, लेकिन लाइसेंस जारी करने से पहले सभी मौजूदा नियमों का पालन करना होगा।
भारतीय और वैश्विक कंपनियों के बीच बहस
यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है, जब रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी भारतीय टेलीकॉम कंपनियों और वैश्विक सैटकॉम प्रदाताओं के बीच स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर बहस चल रही है। भारतीय कंपनियां चाहती हैं कि सैटकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम नीलामी के माध्यम से प्राप्त करें, जैसा कि उनके लिए अनिवार्य है। हालांकि, सरकार ने संकेत दिया है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जाएगा, लेकिन इसके लिए शुल्क लिया जाएगा।
स्टारलिंक और अमेज़न काइपर की योजनाएं
स्टारलिंक, जिसके पास 6,000 से अधिक लो-अर्थ ऑर्बिट उपग्रह हैं, पहले ग्रामीण इलाकों में मुफ्त कनेक्टिविटी देने की प्रतिबद्धता जता चुकी है। वहीं, अमेज़न का प्रोजेक्ट काइपर 2025 से 3,236 उपग्रह लॉन्च करने की योजना बना रहा है, और उसी वर्ष से व्यावसायिक सेवाएं शुरू करेगा।
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
सरकार जल्द ही GMPCS लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों जैसे भारती समर्थित यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो-SES जॉइंट वेंचर के साथ बैठक करेगी। यह कदम भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, जो 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। फिलहाल, भारत का वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में हिस्सा केवल 2% है, जिसे बढ़ाकर 8% करने का लक्ष्य है।
सरकार द्वारा नियमों में यह संभावित ढील, भारत को वैश्विक सैटकॉम बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकती है और देश के डिजिटल कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।