BTTV SPECIAL STORY: क्या होता है ग्रे मार्केट प्रीमियम, IPO में कैसे ग्रे मार्केट में लगाया जाता है लिस्टिंग का अनुमान
ग्रे मार्केट प्रीमियम कितना सटीक होता है? तो इसका जवाब है कि GMP सटीक लिस्टिंग प्राइस को नहीं दर्शाता है, लेकिन GMP में रुझानों को देखकर, ट्रेडर्स लिस्टिंग के बाद स्टॉक की दिशा का अनुमान लगा सकते हैं।

आप GMP या ग्रे मार्केट जैसे शब्दों को पहले भी सुनते आए होंगे लेकिन टाटा टेक, गांधार ऑयल या फिर ईरेडा जैसे IPO आने के बाद से इन शब्दों को दोबारा बल मिला और दोबारा चर्चा में आ गए। कभी आपने सुना कि टाटा टेक का ग्रे-मार्केट प्रीमियम 80% से अधिक है, तो कभी आपने ईरेडा को लेकर भी इस तरह की चर्चाएं सुनी। अब ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रे मार्केट क्या होता है, ये कैसे काम करता है और GMP क्या होता है? सबसे पहले GMP की फुल फॉर्म ग्रे मार्केट प्राइस होता है। जब कोई IPO बाजार में आता है, तो GMP की काफी चर्चा होने लगती है। IPO के लॉन्च होने से लेकर शेयर की लिस्टिंग तक GMP पर सबकी निगाहें रहती हैं और इसी से पता चलता है कि निवेशकों की उस स्पेसिफिक IPO में कितनी दिलचस्पी है। तो सबसे पहले जानते हैं कि आखिर ग्रे मार्केट क्या होता है? ग्रे मार्केट एक unofficial और अनियमित यानि irregular बाजार होता है। जहां पर भी शेयरों का कारोबार होता है। लेकिन समझने वाली वाली बात ये है कि यहां शेयर, स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट नहीं होते हैं। इस बाजार में लेनदेन व्यक्तिगत रूप से होते हैं। लेकिन ये समझना होगा यहां कोई भी सेबी की तरह नियामक नहीं होता जो तमाम लेनदेन रेग्युलेट कर सके, लेकिन फिर भी इन्हें अवैध नहीं माना जाता है। क्यों नहीं माना जाता अवैध? एक एग्जाम्प्ल की तरह समझाता हूं आपने Esop सुना होगा। Esop कंपनी अपने कर्मचारियों को देती है। स्टॉक फॉर्म में..मान लीजिए वो Esop किसी को बेच दें। तो इसे अवैध नहीं माना जाता है।
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अब अगला सवाल उठता है कि ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है? ग्रे मार्केट प्रीमियम वो एक्स्ट्रा कीमत है जिसे निवेशक शेयर के स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होने से पहले ग्रे मार्केट में भुगतान करने के लिए तैयार हैं। यानि लिस्टिंग से पहले ही जो मार्केट फैसला लेता है वो कीमत। यहां पर सिर्फ ट्रेडर्स पर विश्वास के बीच ही ट्रेड किया जाता है जो अनौपचारिक रूप से होता है। एक एग्जाम्प्ल से समझते हैं। अगर कोई IPO के लिए इश्यू प्राइस ₹600 प्रति शेयर है और स्टॉक ग्रे मार्केट में ₹640 पर ट्रेड कर रहा है, तो IPO का GMP 40 रुपए होगा। आजकल ऐसे बहुत सारे ब्रोकर्स हैं जो अनिल्सिटड शेयर खरीदते-बेचते हैं।
अब आप पूछेंगे कि ग्रे मार्केट प्रीमियम की कैलकुलेशन कैसे होती है? तो ये पूरी कैलकुलेश डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है। अगर शेयरों के अलॉटमेंट की संभावना बढ़ जाती है, तो इसका मतलब है कि बिक्री के लिए ज्यादा स्टॉक उपलब्ध है और इसका असर क्या होगा, GMP के कम होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके उल्ट अगर अलॉटमेंट की संभावना कम है, तो इसका मतलब है कि कम शेयर होने के कारण GMP ज्यादा हो सकता है।आमतौर पर, सब्सक्रिप्शन जितना ज्यादा होगा GMP उतना ही अधिक होगा। टाटा टेक में भी ये ही हुआ। जबरदस्त सब्सक्रिप्शन मिला।
अब यहां अगल सवाल होगा कि अनलिस्टेड मार्केट में आप शेयर कैसे खरीद-बेच सकते हैं?
तो यहां पर आपको शेयर खरीदने के लिए ग्रे मार्केट ब्रोकर्स के पास जाना होगा। उसके बाद ब्रोकर, जो भी संभावित बेचने वाले या फिर खरीदने वाले होते है उनसे संपर्क करेगा। लेकिन यहां पर ध्यान रखने वाली बात ये है कि एक निवेशक शेयर तब बेचेगा, जब वो sure नहीं होगा कि शेयर किस लेवल पर लिस्ट होगा और वो इसे लिस्टिंग तक रखने का जोखिम नहीं लेना चाहता है। सभी लेनदेन लिस्टिंग प्राइस पर सेटल किए जाते हैं और यदि लिस्टिंग प्राइस और लास्ट कोटेड प्राइस में अंतर होता है, तो अंतर का सेटलमेंट लिस्टिंग के दिन किया जाता है। आखिर और जरूरी सवाल - ग्रे मार्केट प्रीमियम कितना सटीक होता है? तो इसका जवाब है कि GMP सटीक लिस्टिंग प्राइस को नहीं दर्शाता है, लेकिन GMP में रुझानों को देखकर, ट्रेडर्स लिस्टिंग के बाद स्टॉक की दिशा का अनुमान लगा सकते हैं।