IIT चेन्नई और भारतीय नौसेना के साथ इस डिफेंस कंपनी ने की बड़ी डील - रडार पर शेयर

कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद अपने लेटेस्ट एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि स्वदेशी डिफेंस तकनीक के डेवलपेंट को तेज करने के लिए आईआईटी-चेन्नई (IIT-Chennai) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) के साथ एक Tri-Party सहयोग की घोषणा की है।

Advertisement

By Gaurav Kumar:

Apollo Micro Systems Share Price: डिफेंस स्टॉक अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड का शेयर आज निवेशकों के रडार पर है। सुबह 10:42 बजे तक स्टॉक में आज करीब 1 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है।

इस वक्त तक शेयर एनएसई पर स्टॉक 0.50% या 1.35 रुपये टूटकर 271.30 रुपये पर ट्रेड कर रहा था तो वहीं बीएसई पर शेयर 0.38% या 1.05 रुपये गिरकर  271.75 रुपये पर कारोबार कर रहा था।

मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद दी थी बड़ी जानकारी

कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद अपने लेटेस्ट एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि स्वदेशी डिफेंस तकनीक के डेवलपेंट को तेज करने के लिए आईआईटी-चेन्नई (IIT-Chennai) और भारतीय नौसेना (Indian Navy) के साथ एक Tri-Party सहयोग की घोषणा की है।

इसका मकसद स्वदेशी रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) के माध्यम से सशस्त्र बलों की वर्तमान और उभरती परिचालन ज़रूरतों को पूरा करना है। यह गठबंधन आधुनिक युद्ध के लिए जरूरी हाई टेक क्षेत्रों पर काम करेगा।

इसमें एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, प्रिसिजन गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम, और हाई-एनर्जी हथियार तकनीक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। यह सिर्फ इन्हीं तकनीकों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जरूरत के अनुसार और भी एडवांस क्षेत्रों में काम किया जाएगा।

IIT-चेन्नई के साथ यह पार्टनरशिप आगे चलकर उन सभी हाई-टेक प्रोडक्ट पर भी लागू होगी, जो भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, अंतरिक्ष क्षेत्र और देश के अन्य सुरक्षा व रणनीतिक क्षेत्रों के लिए विकसित किए जाएंगे।

इस MoU के तहत जिन प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जाएगा, वे भारत के रक्षा मंत्रालय के उस लक्ष्य को मजबूत करेंगे, जिसमें रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने की बात कही गई है। इसके सफल होने से भारत की पहचान एक मजबूत डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में और भी बढ़ेगी।

अपोलो माइक्रो सिस्टम्स लिमिटेड के एमडी करुणाकर रेड्डी ने कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने वाले नेक्स्ट जेनरेशन सॉल्यूशन पेश करने के लिए तैयार हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि यह सहयोगात्मक मॉडल सुनिश्चित करता है कि नई टेक्नोलॉजी, मिशन के लिए हों, उनका कड़ाई से परीक्षण किया जाए और वे नौसेना प्लेटफार्मों के लिए तैनात होने को तैयार हों। इससे विदेशी आयात पर निर्भरता काफी कम होगी और रक्षा क्षमताओं में भारत की आत्मनिर्भरता मजबूत होगी।

Read more!
Advertisement