Anil Ambani की Reliance Infra ने निवेशकों को रुलाया
ट्रिब्यूनल ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से रिलायंस इन्फ्रा को टर्मिनेशन कॉस्ट के रूप में 2950 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। लेकिन अब इसी फैसले को पलट दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का साफ कहना है कि ये पैसा रिलायंस इंफ्रा DMRC को वापस लौटाएगा।

Anil Ambani के मालिकाना हक वाली कंपनी Reliance Infrastructure को बड़ा झटका लगा है। इसका असर इतना गहरा हुआ है कि रिलायंस इंफ्रा का स्टॉक ढह गया। भारी गिरावट देखने को मिली। स्टॉक में 20% का लॉअर सर्किट देखने को मिल रहा है। ये गिरावट आई क्यों? क्या है खबर, आइये समझते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
अनिल अंबानी और Delhi Metro Rail Corp यानि DMRC के बीच में Supreme Court में मामला चल रहा था, जिस पर फैसला आ गया है। ये फैसला अनिल अंबानी के खिलाफ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी की कंपनी, Delhi Airport Metro Express Private Limited के पक्ष के फैसले को पलट दिया है और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के पक्ष में फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने DMRC की ओर से दाखिल क्यूरेटिव याचिका को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अब रिलायंस इंफ्रा को DMRC को ₹2,800 करोड़ रुपए पैसे लौटाने होंगे। मध्यस्थता अवॉर्ड वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं। अदालत ने कहा कि दिल्ली मेट्रो कॉरपोरेशन के जरिए दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो को भुगतान की गई सभी राशि वापस की जानी चाहिए।
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रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर
पहले के फैसले में था क्या? दरअसल दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को कहा गया था कि अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाली कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को 4600 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। लेकिन अब फैसला पलट चुका है। दरअसल सबसे पहले रिलायंस इन्फ्रा, दिल्ली मेट्रो पर करार तोड़ने का आरोप लगाते हुए आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए मामले को आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में ले गई थी। आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने DMRC की तरफ से रिलायंस इन्फ्रा को 2700 करोड़ रुपये देने का फैसला सुनाया था। लेकिन अब ये पैसा रिलायंस इन्फ्रा को लौटाना होगा। जानते हैं क्या है पूरा मामला।
क्या है पूरा मामला
रिलायंस इन्फ्रा की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2008 में मिलकर DMRC के साथ एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के संचालन के लिए एग्रीमेंट किया था। यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित DMRC का पहला प्रोजेक्ट था। रिलायंस इन्फ्रा को साल 2038 तक एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का संचालन करना था। इसके तहत करीब 22.7 किलीमीटर लंबी मेट्रो लाइन बिछाई गई जो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को सीधे IGI एयरपोर्ट टर्मिनल-3 से कनेक्ट करती है। रिलायंस इन्फ्रा ने एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के निर्माण में कुछ खामियों का जिक्र किया था। कंपनी का कहना था कि दिल्ली मेट्रो इन खामियों को दूर करने में लगातार असफल रही। इसके बाद साल 2013 में रिलायंस इन्फ्रा ने दिल्ली मेट्रो के साथ अपने समझौते को खत्म करने का फैसला किया। इसके बाद जुलाई 2013 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन इस लाइन पर खुद संचालन शुरू कर दिया था। DMRC के इस फैसले से भारी नुकसान की बात कहते हुए रिलायंस इंफ्रा की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड ने ट्राइब्यूनल और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कंपनी की तरफ से दिल्ली मेट्रो से टर्मिनेशन फीस की मांग की गई। चार साल तक 68 सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पक्ष में फैसला सुनाया था। ट्रिब्यूनल ने रिलायंस इन्फ्रा की सहायक कंपनी की तरफ से एयरपोर्ट मेट्रो संचालन के काम से हाथ खींचने को सही माना। ट्रिब्यूनल ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तरफ से रिलायंस इन्फ्रा को टर्मिनेशन कॉस्ट के रूप में 2950 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। लेकिन अब इसी फैसले को पलट दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का साफ कहना है कि ये पैसा रिलायंस इंफ्रा DMRC को वापस लौटाएगा।