ठगों को कॉल करने के लिए नंबर कहां से मिलते हैं?

मुंबई में एक बड़े साइबर क्राइम रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिसमें आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने बिना KYC दस्तावेजों के मोबाइल नंबरों की अवैध पोर्टिंग की और उन्हें साइबर ठगों को बेच दिया। इन पोर्ट किए गए नंबरों का इस्तेमाल ठग वॉट्सएप ग्रुप बनाने और फर्जी इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोगों को फंसाने के लिए करते थे

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ठगों को कॉल करने के लिए नंबर कहां से मिलते हैं?

By Ankur Tyagi:

मुंबई में एक बड़े साइबर क्राइम रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिसमें आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने बिना KYC दस्तावेजों के मोबाइल नंबरों की अवैध पोर्टिंग की और उन्हें साइबर ठगों को बेच दिया। इन पोर्ट किए गए नंबरों का इस्तेमाल ठग वॉट्सएप ग्रुप बनाने और फर्जी इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोगों को फंसाने के लिए करते थे। जांच में पता चला कि गिरोह ने करीब 3,000 नंबरों की अवैध पोर्टिंग की और इससे लाखों रुपये की ठगी की गई।

एजेंसी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में दो प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाताओं के कर्मचारी और कुछ दुकान मालिक शामिल हैं। यह गिरोह कम से कम 3,000 नंबरों की अवैध पोर्टिंग कर चुका है, और इन नंबरों के जरिए ठगों ने फर्जी इन्वेस्टमेंट और बिजनेस के झांसे में लोगों को फंसाया। इस पूरे रैकेट से करोड़ों रुपये की ठगी का खुलासा हुआ है।

पुलिस के मुताबिक, एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके साथ 14 मई से 28 जून 2023 के बीच 51.33 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। जांच में पाया गया कि पीड़ित को एक वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था, जिसके लिए एक सिम कार्ड का अवैध रूप से UPC कोड के जरिए पोर्ट किया गया था।

साइबर पुलिस ने गहन जांच के बाद इस गिरोह को गिरफ्तार किया, जिससे एक बड़े स्तर पर फैले धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में बिना KYC के सिम पोर्टिंग प्रक्रिया का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा था।

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