चीन-अमेरिका के झगड़े में भारत मारेगा बाजी! Moody's की रिपोर्ट ने चौंकाया

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर के और तेज होने का अनुमान मूडीज रेटिंग्स ने लगाया है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इसका भरपूर फायदा भारत को मिलने का अनुमान है। दरअसल अमेरिका ने जबसे चीन पर अपने रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश करने पर प्रतिबंध बढ़ाया है तबसे वैश्विक कंपनियां चीन से अपनी निर्भरता घटाने में लगी हैं। इससे भारत के साथ ही आसियान देशों को जबरदस्त फायदा मिल सकता है।

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By Harsh Verma:

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर के और तेज होने का अनुमान मूडीज रेटिंग्स ने लगाया है। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इसका भरपूर फायदा भारत को मिलने का अनुमान है। दरअसल अमेरिका ने जबसे चीन पर अपने रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश करने पर प्रतिबंध बढ़ाया है तबसे वैश्विक कंपनियां चीन से अपनी निर्भरता घटाने में लगी हैं। इससे भारत के साथ ही आसियान देशों को जबरदस्त फायदा मिल सकता है। अमेरिका का ये कदम चीन पर डबल अटैक की तरह होगा। एक तरफ तो विदेशी निवेश घटने से चीन की इकॉनमी में सुस्‍ती आगी और भारत में बड़ी कंपनियों की दिलचस्‍पी बढ़ना भी उसके लिए नुकसानदायक सबित होगा। 

मूडीज ने क्या कहा?

मूडीज का कहना है कि चीन से अमेरिकी व्यापार घटने और विदेशी निवेश में कमी होने से भारत को फायदा मिलेगा। आसियान देशों को भी इस बदलाव से फायदा होना तय है। लेकिन इसमें ये भी कहा गया है कि अगर अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों से चीन का निर्यात और विकास दर धीमी होगी तो इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के वो देश भी प्रभावित होंगे जो चीन पर ज्यादा निर्भर हैं। चीन के अमेरिकी बाजार पर निर्भर कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स, इलेक्ट्रिकल इक्विमेंट्स और केमिकल प्रडक्ट्स जैसे क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होंगे। वहीं भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल सेक्टर को तेज ग्रोथ के मौके मिल सकते हैं। मूडी के मुताबिक इससे जापान और दक्षिण कोरिया के ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स के लिए रिस्क बढ़ सकता है।  जबकि भारतीय फार्मा कंपनियों को फायदा होगा जो अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं के प्रमुख सप्लायर्स हैं। अब अमेरिका जेनेरिक दवाओं के उत्पादन में चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।

फार्मा सेक्टर के जानकारों का भी मानना है कि इससे भारत के लिए नए मौके पैदा होंगे। वैश्विक कंपनियां भी ‘चीन प्लस 1’ रणनीति के तहत चीन में काम करने के साथ ही दूसरे एशियाई देशों, खासकर भारत और आसियान देशों में अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही हैं। 

मूडीज के मुताबिक

चीन पर जोखिम कम करने के लिए कंपनियां इस रणनीति पर लंबे समय तक चलती रहेंगी। मूडीज के मुताबिक कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में वियतनाम और भारत को फायदा होगा क्योंकि कई कंपनियां चीन से निकलकर भारत में निवेश कर रही हैं।।Apple के प्रॉडक्ट्स की मैन्यफैक्चरिग का भारत में बढ़न इसकी सबसे बड़ी मिसाल है,टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने विस्ट्रॉन का अधिग्रहण किया है।फॉक्सकॉन जैसी कंपनियां भारत में iPhone मॉडल्स बना रही हैं।

मूडीज के मुताबिक एशिया-प्रशांत क्षेत्र के चीन से बाहर स्थित भारत और सिंगापुर जैसे पोर्ट्स विदेशी निवेश और कारोबारी गतिविधियों में बदलाव से फायदा उठाएंगे। भारत और इंडोनेशिया जैसे देश जो सीधे तौर पर अमेरिका या चीन के पक्ष में नहीं हैं दोनों देशों के व्यापार के लिए वैकल्पिक विकल्प बन सकते हैं।

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