Lok Sabha Election Result 2024: स्ट्रांग रूम कितने बजे खुलेगा, एजेंट को क्या है पावर... काउंटिंग से पहले जाने यह नियम
चुनाव आयोग के नियमों के तहत मतगणना खत्म होने के बाद EVM दोबारा 45 दिनों के लिए स्ट्रांग रूम में रख दी जाती है। ऐसा करना अनिवार्य होता है। इसके बाद इसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाता है।

लोकसभा चुनावों के लिए 4 जून को मतगणना शुरू होने वाली है। सुबह 8 बजे से काउंटिंग शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी। उसके बाद EVM में दर्ज वोटों की गिनती शुरू होगी। आखिरी चरण का मतदान खत्म होते ही सबसे ज्यादा चर्चा काउंटिंग, स्ट्रांग रूम और पोलिंग एजेंट की हुई हैं। कैसे होती है मतगणना , पोलिंग एजेंट क्या करते हैं और स्ट्रांग रूम क्या होता है, वहां जाने की पावर किसके पास है ये कुछ ऐसे अहम सवाल है, जिसका जवाब लोग जानना चाहते हैं।
कब खुलता है स्ट्रांग रूम का ताला
मतदान खत्म होने के बाद वोटिंग मशीनें जहां रखी जाती हैं, उस जगह को स्ट्रांग रूम कहते हैं। स्ट्रांग रूम में परिंदा भी पर नहीं मार सकता इसके लिए सुरक्षा के इंतजाम होते हैं।4 जून को मतगणना है ऐसे में सुबह 7 के करीब स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाएगा। जब इसका ताला खोला जाता है, उस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर भी वहां मौजूद रहते हैं। इस पूरे प्रॉसेस की वीडियोग्राफी कराई जाती है। CCTV इंतजाम वहां पहले से होते हैं। ताला खोलने के समय हर एक उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मौजूद होते हैं।
अगले चरण में क्या होता है
EVM की कंट्रोल यूनिट काउंटिंग की टेबल पर रखी जाती है। इसके बाद प्रत्येक कंट्रोल यूनिट की यूनिक ID और सील का मिलान होता है और उसे राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है। अगर किसी उम्मीदवार के एजेंट को आपत्ति नहीं होती, उसके बाद मतगणना की प्रक्रिया शुरू होती है।
काउंटिंग सेंटर पर कितने लोग होते हैं
मतगणना स्थल में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार की ओर से एक पोलिंग एजेंट मौजूद होता है। किसी भी हॉल में 15 से अधिक एजेंट नहीं होते हैं। इन पोलिंग एजेंट का चयन खुद उम्मीदवार की ओर से किया जाता है और जिला निर्वाचन अधिकारी को उसका नाम, फोटो और अन्य जानकारी पहले से ही शेयर की जाती है। ये कवायद इसलिए होती है ताकि निष्पक्ष मतगणना कराई जा सके।
मतगणना करने का नियम
ये काउंटिंग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है। किसी भी मतगणना स्थल के एक हॉल में कुल 15 टेबल लगी होती है। 14 टेबल काउंटिंग के लिए वहीं एक टेबल रिटर्निंग अफसर के लिए होती है। कौन सा कर्मचारी किस टेबल पर काउंटिंग करेगा ये बहुत सीक्रेट रखा जाता है। मतगणना वाले दिन ही सुबह 5 से 6 बजे के बीच हर जिले का निर्वाचन अधिकारी रैंडम तरीके से कर्मचारियों को हॉल और उसकी टेबल अलॉट करता है।
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मतगणना स्थल पर कौन जा सकता है
काउंटिंग सेंटर के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सिक्योरिटी जवान और चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट द्वारा पहले से तय किए पोलिंग एजेंट ही जा सकते हैं। वहीं ये नियम भी है कि जब तक वोटों की गिनती का काम खत्म नहीं हो जाता तब तक किसी भी एजेंट को बाहर आने की इजाजत भी नहीं होती है। वहीं किसी को मतगणना स्थल के अंदर मोबाइल ले जाने की इजाजत नहीं होती है।
पोलिंग एजेंट की पावर
अगर किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट को डाटा में गड़बड़ी की आशंका है तो वह री-काउंटिंग यानी दोबारा मतगणना की मांग कर सकता है। चुनाव आयोग के मुताबिक जब तक आधिकारिक तौर पर रिजल्ट की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक कोई भी उम्मीदवार री-काउंटिंग की मांग कर सकता है।
कितने बजे शुरू होगी मतगणना
मतगणना का काम सुबह 8 बजे से शुरू होगा। सबसे पहले पोस्टल बैटल की गिनती होने की परंपरा रही है। उसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होती है। हालांकि, रिटर्निंग ऑफिसर के पास के अधिकार होता है कि वह किसी विशेष परिस्थिति में टाइम आगे-पीछे कर सकता है। सबसे पहले पोस्टल बैलट और इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलट की गिनती होती है। इसमें करीब 15 मिनट से 30 मिनट का वक्त लगता है।
आखिरी हार जीत का ऐलान कब
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 63 के मुताबिक मतगणना पूरी होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर हर उम्मीदवार को मिले वोट का डाटा रिजल्ट शीट में भरते हैं और उसके बाद रिजल्ट की घोषणा करते हैं। इसके फौरन बाद विजेता उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट दिया जाता है।
काउंटिंग के बाद EVM का क्या होता हैं
चुनाव आयोग के नियमों के तहत मतगणना खत्म होने के बाद EVM दोबारा 45 दिनों के लिए स्ट्रांग रूम में रख दी जाती है। ऐसा करना अनिवार्य होता है। इसके बाद इसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाता है।