भारत के Gig Workers पर आई रिपोर्ट, जानिए अपने काम से कितना खुश?
इप्सोस के सर्वेक्षण के मुताबिक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 29% गिग वर्कर्स का मानना है कि सामाजिक सुरक्षा के फायदे जैसे बीमा और पीएफ के फायदे न होना, इस सेक्टर की सबसे बड़ी चुनौती है। गिग वर्क के अभाव में सिर्फ 30% उम्मीदवार ही अपने आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पारम्परिक काम करना चाहेंगे।

पिछले कुछ सालों में Gig Economy एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के तौर पर उभरी है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है। ऐसे में गिग इकोनॉमी के भविष्य को समझना बहुत जरूरी है। सबसे पहले समझते हैं कि गिग इकोनॉमी होती क्या है? एक ऐसा लेबर मार्केट है, जिसकी खासियत शॉर्ट टर्म और फ्रीलांस की व्यवस्था है। ऐसी इकोनॉमी में प्रोजेक्ट के हिसाब से काम दिया और किया जाता है। ट्रेडिशनल फुलटाइम इंप्लॉयमेंट की तरह गिग लेबर लॉन्ग टर्म कांट्रैक्ट्स से बंधे नहीं होते हैं। गिग इकोनॉमी और गिग वर्कर्स की स्थिति को समझने के लिए 6 शहरों में सर्वेक्षण किया गया है। इप्सोस के सर्वे के मुताबिक 84% गिग वर्कर्स, गिग इकोनॉमी में अपने काम के अनुभव से संतुष्ट हैं। कमाई की ज़्यादा क्षमता, समय का लचीलापन और अपने हिसाब से काम करने की आजादी गिग वर्कर्स को इस सेक्टर में काम करने के लिए प्रेरित करता है।
इप्सोस रिसर्च प्रा. लिमिटेड के सर्वेक्षण
इप्सोस रिसर्च प्रा. लिमिटेड के सर्वेक्षण में ये जानकारी मिलती है कि क्यों भारत में गिग वर्कर्स और गिग इकोनॉमी की ओर झुकाव बढ़ा है। ये सर्वेक्षण अक्टूबर 2023 से नवम्बर 2023 के बीच टॉप महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बैंगलुरू, कोलकाता और हैदराबाद के कई प्लेटफॉर्म्स जैसे स्विगी, ज़ोमेटो, ऊबर, ओला, इनड्राइव, रैपिडो, एमज़ॉन, फ्लिपकार्ट, ज़ेप्टो, बिग बास्कट और डुंज़ो पर काम करने वाले 3668 गिग वर्कर्स के साथ किया गया। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले तकरीनब 65 प्रतिशत गिग वर्कर्स ने दावा किया कि वे पिछले 3 साल से ज्यादा समय से गिग इकोनॉमी में काम कर रहे हैं।
गिग वर्कर्स
88% गिग वर्कर्स के लिए गिग वर्क ही उनकी आय का प्राथमिक स्रोत है। दो तिहाई से ज्यादा गिग वर्कर्स ने बताया कि ये प्लेटफॉर्म उनकी आजीविका चलाने के लिए पर्याप्त मासिक आय देता है। सर्वेक्षण में शामिल 43 प्रतिशत गिग वर्कर्स ने दावा किया कि पिछले काम से गिग वर्क पर आने के बाद उनकी कमाई समान ही बनी हुई है।
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सर्वेक्षण में शामिल
सर्वेक्षण में शामिल 89% गिग वर्कर्स का मानना है कि गिग वर्क से उन्हें फ्लैक्सिबिलिटी मिलती है, वे खुद तय कर सकते हैं कि उन्हें कब और कहां काम करना है। इन प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए फ्लैक्सिबिलिटी सबसे ज़्यादा पसंदीदा कारण है। इसके बाद अपना खुद का बॉस होना और काम और जीवन के बीच बेहतर तालमेल बना पाना गिग वर्कर्स के पसंदीदा पहलु हैं।
सर्वेक्षण
इसमें दिलचस्प बात ये है कि सर्वेक्षण में एक तिहाई गिग वर्कर्स का दावा है कि गिग वर्क ने उन्हें अपने होमटाउन से बड़े शहर में जाने का अवसर दिया है। इसके पीछे की वजह काम शुरू करने के लिए कम निवेश भी वजह है। सर्वेक्षण में शामिल 18 फीसदी गिग वर्कर्स के मुताबिक प्लेटफॉर्म आधारित काम की वजह से वो अपने परिवार के साथ ज़्यादा संपर्क में रहते हैं, वरना उनके लिए मुश्किल हो जाती है।
इप्सोस के सर्वेक्षण के मुताबिक
वहीं दूसरी ओर इप्सोस के सर्वेक्षण के मुताबिक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 29 प्रतिशत गिग वर्कर्स का मानना है कि सामाजिक सुरक्षा के फायदे जैसे बीमा और पीएफ के फायदे न होना, इस सेक्टर की सबसे बड़ी चुनौती है। गिग वर्क के अभाव में सिर्फ 30 प्रतिशत उम्मीदवार ही अपने आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पारम्परिक काम करना चाहेंगे। फुल टाईम नौकरी ढूंढना चाहते हैं। इस सूची में सबसे कम संख्या 8 प्रतिशत है जो काम की तलाश में फिर से अपने होमटाउन या गांव जाना चाहेंगे। तकरीबन तीन चौथाई यानि 77 प्रतिशत गिग वर्कर्स काम के दूसरे अवसरों की तुलना में गिग वर्क का सुझाव देते हैं।