भारत की ग्रोथ स्टोरी पर IMF और ADB ने दिखाया विश्वास
ADB के मुताबिक भारत की विकास दर में तेजी की वजह मजबूत डिमांड है। भारत की ये ग्रोथ स्टोरी उस दौर में भी देखी गई जब अमेरिका और यूरोप समेत पश्चिमी देशों की अर्थव्यस्थाएं महंगाई के दबाव के सामने घुटने टेक चुकी थीं। लेकिन ये संकट अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि IMF की MD क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि मिड टर्म में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी बने रहने की आशंका है।

भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर दुनिया में किसी को शक-ओ-शुब्हा नहीं है। दुनिया में चाहे आर्थिक सुस्ती का जितना असर हो लेकिन भारत की विकास दर लगातार कुलांचे भर रही है। अब एशियन डेवलपमेंट बैंक यानी ADB के एशियन डेवलपमेंट आउटलुक अपडेट में साल 2023-24 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। ADB ने 2024-25 के लिए भी पहले की तरह 6.7% के विकास दर अनुमान को बनाए रखा है। इसके पहले 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.2% रही थी। ADB के मुताबिक भारत की विकास दर में तेजी की वजह मजबूत डिमांड है। भारत की ये ग्रोथ स्टोरी उस दौर में भी देखी गई जब America और Europe समेत पश्चिमी देशों की अर्थव्यस्थाएं महंगाई के दबाव के सामने घुटने टेक चुकी थीं। लेकिन ये संकट अभी खत्म नहीं हुआ है क्योंकि IMF की MD Kristalina Georgieva ने कहा है कि मिड टर्म में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी बने रहने की आशंका है। ऐसे में भारत की विकास दर को लेकर आया ADB का अनुमान देश की बढ़ती आर्थिक ताकत का सबूत है। जॉर्जीवा ने आर्थिक सुस्ती की धुंध के बीच भारत को चमकता सितारा करार दिया है। ADB की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा और महंगाई एक बार फिर से प्री-कोविड स्तर पर पहुंच सकती है। ADB के मुताबिक इस साल विकासशील देशों में महंगाई दर 3.6 फीसदी रह सकती है, वहीं अगले साल महंगाई दर 3.4% रहने का अनुमान है। हालांकि महंगाई के मामले पर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड का कहना है कि महंगे फूड और फर्टिलाइजर की वजह से महंगाई फिलहाल बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी रहेगी।
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इसके लिए जॉर्जीवा ने सेंट्रल बैंक्स को अपनी मौद्रिक नीति को ज्यादा सख्त बनाने का सुझाव दिया है। जाहिर है अगर मॉनेटरी पॉलिसी को ज्यादा सख्त किया गया तो फिर ये ग्रोथ में बड़ी रुकावट बन सकती है। उधर ADB के मुताबिक एशिया और प्रशांत क्षेत्र तेजी से महामारी से उबर रहे हैं। इसकी वजह घरेलू डिमांड और सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में आई तेजी है। इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को टूरिज्म में रिकवरी का भी फायदा मिल रहा है। हालांकि, इंडस्ट्रियल गतिविधियां और निर्यात कमजोर रहने की वजह से ग्लोबल ग्रोथ का आउटलुक कमजोर है और डिमांड अगले साल भी कमजोर रह सकती है।