ICRA ने बढ़ाया GDP का अनुमान, ग्रोथ का चमकता सितारा बना रहेगा भारत
भारत के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर के लिए 8.5 फीसदी का अनुमान इक्रा रेटिंग्स ने जारी एक रिपोर्ट में लगाया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अनुकूल बेस इफेक्ट और सर्विस सेक्टर में सुधार के चलते देश की आर्थिक विकास दर में अच्छी तेजी आने का अनुमान है।

भारत की आर्थिक ताकत का पूरी दुनिया लोहा मान रही है। इस कड़ी में एक और रेटिंग एजेंसी भारत की GDP पर बुलिश है और आर्थिक विकास के लिए अच्छे संकेत दिए है। रेटिंग एजेंसी का नाम ICRA है इसने भारत की आर्थिक विकास दर के लिए अच्छी तेजी का अनुमान जताया है जो देश के लिए अच्छी खबर है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में बढ़कर 8.5 फीसदी रह सकती है और इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी-मार्च के दौरान आर्थिक विकास दर 6.1 फीसदी रही थी। खास बात ये है कि देश के केंद्रीय बैंक के अनुमान से इक्रा का जीडीपी अनुमान ज्यादा है। आने वाली 31 अगस्त को देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी के आंकड़े जारी होंगे।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर के लिए 8.5 फीसदी का अनुमान इक्रा रेटिंग्स ने जारी एक रिपोर्ट में लगाया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अनुकूल बेस इफेक्ट और सर्विस सेक्टर में सुधार के चलते देश की आर्थिक विकास दर में अच्छी तेजी आने का अनुमान है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल-जून, 2023 की तिमाही में देश की जीडीपी 8.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और इक्रा रेटिंग्स का जीडीपी अनुमान 8.5 फीसदी पर आया है जो देश की अच्छी आर्थिक स्थिति का अनुमान बता रहा है। इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने आर्थिक विकास दर के अनुमान को 6 फीसदी पर बरकरार रखा है। यह आरबीआई के 6.5 फीसदी के अनुमान से कम रखा गया है।
इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विपरीत परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं। उन्होंने कहा कि अनियमित बारिश, एक साल पहले की कमोडिटी कीमतों के मुकाबले मौजूदा कीमतों का अंतर कम होने का डर बना हुआ है। इसके अलावा सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर की स्पीड में कमी की आशंका बनी हुई है।
अदिति नायर ने इस बात की भी संभावना जताई कि साल 2024 में होने वाले भारत के आम चुनावों के करीब पहुंचने के साथ जीडीपी की विकास दर सीमित रहने वाली है। अदिति नायर ने ये भी कहा कि पहली तिमाही में बेमौसम भारी बारिश, मॉनिटरी पॉलिसी की सख्ती का असर कम होने और कमजोर बाहरी मांग के कारण जीडीपी विकास दर पर दबाव पड़ा है।