US-Ukraine के बीच हुई बड़ी डील, China और भारत पर पड़ेगा सीधा असर

World Biggest Deal: यूक्रेन और अमेरिका के बीच दुर्लभ खनिजों (Rare Minerals) को लेकर एक अहम समझौता हुआ है। इस समझौते का असर भारत और चीन पर पड़ेगा।

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By Priyanka Kumari:

यूक्रेन और अमेरिका के बीच दुर्लभ खनिजों (Rare Minerals) को लेकर एक अहम समझौता हुआ है, जिसके तहत अमेरिका को यूक्रेन से महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति मिलेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे "बहुत बड़ी डील" बताया है, जिसमें सैन्य सहायता और नई तकनीक का भी समावेश हो सकता है।

यह समझौता क्यों हुआ?

दुर्लभ खनिजों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरियों, रक्षा उपकरणों और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में किया जाता है। अमेरिका लंबे समय से चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए नए खनिज आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रहा है। यूक्रेन में इन खनिजों का विशाल भंडार है, लेकिन युद्ध के कारण वह इनका दोहन नहीं कर पा रहा है। इस समझौते के तहत अमेरिका आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, बदले में उसे इन खनिजों तक प्राथमिक पहुंच मिलेगी।

यूक्रेन को क्या मिलेगा?

इस डील से यूक्रेन को अरबों डॉलर की फाइनेंशियल हेल्प और सैन्य उपकरण मिल सकते हैं। युद्ध के बाद सुरक्षा गारंटी मिलने की संभावना भी है। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में यूक्रेन के खनिज संसाधनों को अधिक पहचान मिलेगी। हालांकि, यूक्रेनी संसद के कई सदस्य इस समझौते से अनजान हैं, जिससे आशंकाएं भी पैदा हो रही हैं।

यूक्रेन के पास कौन-कौन से महत्वपूर्ण खनिज हैं?

लिथियम (Lithium): इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्टफोन बैटरियों के लिए आवश्यक। यूक्रेन में 5,00,000 टन लिथियम का भंडार है, जो यूरोप में सबसे बड़ा है।

टाइटेनियम (Titanium): हवाई जहाज, चिकित्सा उपकरणों और हल्के धातुओं के निर्माण में उपयोगी। युद्ध से पहले, यूक्रेन दुनिया के 7% टाइटेनियम का उत्पादन करता था।

ग्रेफाइट (Graphite): बैटरियों और औद्योगिक उपकरणों में जरूरी। यूक्रेन में दुनिया के 20% ग्रेफाइट भंडार हैं।

रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs): 17 दुर्लभ धातुओं का समूह, जिनका उपयोग मिसाइल सिस्टम, विंड टर्बाइन्स और इलेक्ट्रिक मोटर्स में होता है। यूक्रेन के पास 5% वैश्विक भंडार है।

अन्य खनिज: यूक्रेन में यूरेनियम (परमाणु ऊर्जा), मैंगनीज और गैलियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज भी हैं।

अगर डील सफल रही

  • अमेरिका को चीन पर निर्भरता कम करनी पड़ेगी, जिससे व्यापार संघर्ष घट सकता है।
  • वैश्विक बाजार स्थिर होने से सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
  • ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ेगा।

अगर डील असफल रही 

  • निवेशक सोने को सुरक्षित निवेश मानकर अधिक खरीद सकते हैं, जिससे इसकी कीमतें बढ़ेंगी।
  • खनिजों की कमी से तकनीकी उत्पाद महंगे हो सकते हैं, जिससे महंगाई बढ़ेगी।

भारत पर पड़ेगा क्या असर?

चीन की पकड़ कमजोर होने से भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा।
अमेरिका की सप्लाई चेन मजबूत होने से सोने और अन्य धातुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव आ सकता है।
भारत को नई आपूर्ति श्रृंखला से लाभ मिलेगा, जिससे रक्षा और तकनीकी उद्योग को मजबूती मिलेगी।

क्या यह डील यूक्रेन के हित में है?

अगर अमेरिका इस समझौते के तहत यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर अधिक नियंत्रण कर लेता है, तो यूक्रेनी जनता को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा। साथ ही, रूस इस डील का विरोध कर सकता है, जिससे युद्ध तेज होने की आशंका भी बनी रहेगी।

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