SEBI के नए सर्कुलर ने बढ़ाई टेंशन - 1 अक्टूबर से लागू होंगे नए नियम
रिपोर्ट की माने तो यह फ़ैसला ब्रोकरेज हाउस कंपनियों की लिए थोड़ा टेंशन भरा हो सकता हैं। विशेष रूप से डिस्काउंट ब्रोकरेज कंपनियों की आमदनी में एक बड़ा झटका लगेगा।

यदि आप भी शेयर बाज़ार में पैसा लगाते हैं तो आपके लिए SEBI की ओर से एक बड़ी और महत्वपूर्ण खबर सामने आ रही है। सेबी ने ट्रांजैक्शन चार्ज पर नया सर्कुलर जारी किया है, जिसके मुताबिक़ MIIs अब टर्नओवर के आधार पर डिस्काउंट नहीं दें पाएंगे। सेबी के यह नए नियम 1अक्टूबर 2024 से लागू होंगे।
क्या होते हैं MIIs?
MIIs से बाज़ार में मतलब मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस होता हैं। MIIs में स्टॉक एक्सचेंज ही नहीं बल्कि क्लियरिंग कारपोरेशन भी आते हैं।
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इससे क्या होगा?
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट की माने तो यह फ़ैसला ब्रोकरेज हाउस कंपनियों की लिए थोड़ा टेंशन भरा हो सकता हैं। विशेष रूप से डिस्काउंट ब्रोकरेज कंपनियों की आमदनी में एक बड़ा झटका लगेगा। यह कंपनियाँ अपनी आमदनी का एक अच्छा हिस्सा पैकेज से कमाते हैं जो एक्सचेंज उनके भारी वॉल्यूम के लिए देते हैं। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि डिस्काउंट ब्रोकर अपनी आय का 15 से 30 फ़ीसदी तक इससे ही कमाते हैं और डीप डिस्काउंट ब्रोकर अपनी टॉपलाइन का क़रीब 50 से 75 फ़ीसदी इससे कमाते हैं।
SEBI का आदेश में क्या है ख़ास?
SEBI के आदेश के अनुसार, एमआईआई को उनके सदस्यों के लिए शुल्क लेने संबंधित बातों पर स्पष्टीकरण दिया गया है:
* अंतिम ग्राहक से वसूल किए जाने वाले एमआईआई शुल्क को सही रूप से लेना चाहिए, यानी अगर सदस्यों (स्टॉक ब्रोकर, डिपॉजिटरी प्रतिभागी, क्लियरिंग सदस्य) द्वारा अंतिम ग्राहक पर शुल्क लगाया गया है, तो इसे एमआईआई को उसी मात्रा में वसूलना चाहिए।
* एमआईआई की स्लैब चार्जेस सभी सदस्यों के लिए एक समान होनी चाहिए, जो कि सदस्यों की संख्या या गतिविधि पर निर्भर नहीं हो।