New Business Idea Basil cultivation: तुलसी की कमाई से कैसे ये किसान कमाता है लाखों रुपये महीना

तुलसी की औसत पैदावार 20-25 टन प्रति हेक्टेयर और तेल का उत्पादन 80-100 किग्रा हेक्टेयर तक होता है। खेती में प्रति हेक्टेयर 10-12 रुपये का खर्च आता है। तेल की कीमत 500-600 रुपये प्रति किलो होती है। इस तरह 80 से 90 दिनों में 30 हजार से 40 हजार की कमाई हो जाती है।

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तुलसी को भारत में दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है
तुलसी को भारत में दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है

By BT बाज़ार डेस्क:

Tulsi को भारत में दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। भारत में सदियो से तुलसी को पूजा भी जाता है लेकिन आर्युवेद की कंपनियां इसका इस्तेमाल दवाईयों में करती हैं यही वजह है कि तुलसी भारत में एक ऐसे पौधे के तौर पर विकसित हुई है जिसकी डिमांड काफी ज्यादा है।

तुलसी की बहुपयोगी उन्नत किस्में

तुलसी की मुख्य प्रजातियां रामा और श्यामा हैं, जिन्हें अधिकांश घरों में लगाया जाता है। रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है, इसलिए उसे 'गौरी' कहा जाता है, जबकि श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है और इसमें कफनाशक गुण होते हैं। इसलिए इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है। भारत के कई हिस्सों में अब तुलसी की खेती होने लगी है। Saharanpur के किसान Nitin Kumar जब नौकरी छोड़कर आए तो उनके पास कोई काम नहीं था सोच रहे थे कि क्या करें। फिर इंटरनेट पर उन्होंने तुलसी की खेती के बारे में पढ़ा। हालांकि धान और गन्ने की फसल के बीच नितिन का ये फैसला काफी साहसिक था कि वो तुलसी की खेती शरू कर दें। यूपी में आमतौर पर बोबई तुलसी की खेती होती है, इसलिए नितिन ने तुलसी की खेती शुरू की। यूपी के अलावा मध्य प्रदेश  बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी इसके महत्वों को देखते हुए खेती की जा रही है। तुलसी की खेती में सबसे बड़ा बेनेफिट ये है कि इसमें कीड़े कम लगते हैं और खेती आसानी से होती है। 

कैसे करें तुलसी की खेती? 

तुलसी की खेती के लिए अप्रैल-मई महीने से ही तैयारी शुरू की जाती है सबसे पहले जैविक खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है और बारीक जुताई करके खेत को तैयार किया जाता है। तुलसी के नर्सरी पौधे तैयार करने के लिए 4.5x1.0x0.2 मीटर आकार की क्यारियां तैयार की जाती हैं। 1 हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 700 ग्राम से लेकर 1 किलो बीज की जरूरत होती है। तुलसी के पौधे के लिए धान की तरह ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है लेकिन शुरूआत में खेत में पानी जरूर लगाना चाहिए। चूंकि बीज बहुत महीन होते हैं, इसलिए जरूरी मात्रा में बीज को 1:4 के अनुपात में रेत के साथ मिलाया जाता है और मॉनसून की शुरुआत से  6 से 7 सप्ताह पहले में नर्सरी में बोया जाता है। बीज 8-12 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं और 4-5 पत्तियों की अवस्था में लगभग 6 सप्ताह में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
 6-7 सप्ताह में तैयार पौधे को जून में रोपा जाता है। प्रति हेक्टेयर अधिक उपज और अच्छे तेल उत्पादन के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 से मीटर रखनी चाहिए। तुलसी की रोपाई के लिए केवल स्वस्थ पौधे का ही चयन करना चाहिए, ताकि अच्छी पैदावार मिल सके। ये बात गौर करने लायक है कि अगर आप यूपी या उत्तर भारत में खेती कर रहे हों तो मॉनसून से पहले 
ये काम कर लें। क्योंकि मॉनसून में तुलसी के बीज अंकुरित नहीं होते हैं। 

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रासायनिक खाद देने से बचें 

तुलसी के पौधों के सभी भागों को औषधीय इस्तेमाल में लिया जाता है। इसलिए बेहतर होगा कि रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल न किया जाए। 

पानी कब दें

तुलसी की फसल में पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। उसके बाद मिट्टी की नमी के मुताबिक सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों में प्रत्येक महीने 3 बार सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है। बरसात के मौसम में अगर बरसात होती रही तो सिंचाई की कोई जरूरत नहीं पड़ती है। लगभग बुवाई के लगभग तीन महीने के बाद, जब पौधों में पुष्पन पूरी तरह हो जाए,  तब कटाई का बेहतर समय माना जाता है। ध्यान रखना जरूरी है कि तेल निकालने के लिए तुलसी के पौधे के 25-30 से मीटर ऊपरी भाग की कटाई करनी चाहिए।

खेती के मुनाफे का गणित

तुलसी की औसत पैदावार 20-25 टन प्रति हेक्टेयर और तेल का उत्पादन 80-100 किग्रा हेक्टेयर तक होता है। खेती में प्रति हेक्टेयर 10-12 रुपये का खर्च आता है। तेल की कीमत 500-600 रुपये प्रति किलो होती है। इस तरह 80 से 90 दिनों में 30 हजार से 40 हजार की कमाई हो जाती है। 

बीज कहां से लें

वैसे तो तुलसी के बीज आमतौर पर हर शहर में दुकानों पर मौजूद हैं लेकिन अगर आपको बीज लेने में परेशानी हो तो सीमैप लखनऊ से बीज प्राप्त कर सकते हैं।

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