वित्त मंत्रालय का आदेश, बैंक हर महीने दिवालिया के 20 मामलों का रिव्यू करेंगे
किसी कंपनी की एक्टिविटी से देश को खतरा हो या इंटीग्रिटी पर खतरा हो तो ऐसी कंपनी को सरकार दिवालिया घोषित कर सकती है। हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है।

देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों को अब इनसॉल्वेंसी यानी दिवालिया से जुड़े 20 मामलों की समीक्षा हर महीने करनी होगी। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने 22 दिसंबर 2023 सभी सरकारी बैंकों के डायरेक्टर्स को इस संबंध में आदेश जारी किया है। सरकार ने यह फैसला इनसॉल्वेंसी कोर्ट में मामलों की देरी से पेश होने पर लिया है। फाइनेंस सेक्रेटरी विवेक जोशी ने बताया कि वित्त मंत्री सरकार समर्थित बैड बैंकों का भी रिव्यू करेंगी, क्योंकि इससे सोर्ड लोन (ऐसे लोन जिनका ब्याज भी कस्टमर्स ने नहीं दिया है) प्राप्त करने में देरी हो रही है।
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जब किसी भी कंपनी के एसेट्स से ज्यादा लायबिलिटी (यानी संपत्ति से ज्यादा कर्ज) हो जाती है और वह कंपनी उसे चुकाने में फेल हो जाती है। तब वह दिवालिया घोषित की जा सकती है। इसके अलावा किसी कंपनी की एक्टिविटी से देश को खतरा हो या इंटीग्रिटी पर खतरा हो तो ऐसी कंपनी को सरकार दिवालिया घोषित कर सकती है। हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है।