BT Bazaar Exclusive: चाइना+1 थीम हो रही असरदार, कंपनियां चीन से समेट रही अपना कारोबार
दुनिया के सबसे बड़े सिंगल इन्वेस्टर Sovereign Wealth Fund को ऑपरेट करने वाले Norges Bank Investment Management ने भी चीन से निकलने की तैयारी कर ली है और अपना पूरा कारोबार समेटना शुरू कर दिया है। NBIM ने शंघाई में मौजूद अपने ऑफिर को पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया है। इस साल दिसंबर तक कंपनी सारा कारोबार चीन से समेत लेगी। चीन में इस कंपनी की धमक करीब 850 कंपनियों में है।

भारत जहां पूरी दुनिया में विकास का इंजन बना हुआ और भारत की इकोनॉमी को दुनिया लोहा मान रही है तो वही दूसरी तरफ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी कहे जाने वाला चीन की इन दिनों आर्थिक स्थिति के पसीने छूट रहे है। चीनी इकोनॉमी इस समय बुरी तरह से हांफ रही है। चीन आर्थिक संकट से गुजर रहा है। एक के बाद एक विदेशी कंपनियां चीन से अपना बोरिया बिस्तरा समेट रही हैं। ऐसे में आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना कर रहा चीन और शी-जिनपिंग सरकार अपनी डूब रही इकोनॉमी में जांन फूंकने के लिए लगातार काम रहे हैं। लेकिन, इसके बावजूद यहां हालात बनने के बजाए बिगड़ते ही जा रहे हैं और शी-जिनपिंग अपनी सभी प्लानिंग में फेल होते नजर आ रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल में पहुंच गई है।
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अब इसी बीच डूबती इकोनॉमी के दौर में चीन को एक और बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह है अमेरिका से दुश्मनी अमेरिका से दुश्मनी चीन को काफी भारी पड़ रही है। जिसका असर है कि विदेशी कंपनियों ने चीन से अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है। हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े सिंगल इन्वेस्टर Sovereign Wealth Fund को ऑपरेट करने वाले Norges Bank Investment Management ने भी चीन से निकलने की तैयारी कर ली है और अपना पूरा कारोबार समेटना शुरू कर दिया है।
NBIM ने शंघाई में मौजूद अपने ऑफिर को पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया है। इस साल दिसंबर तक कंपनी सारा कारोबार चीन से समेत लेगी। चीन में इस कंपनी की धमक करीब 850 कंपनियों में है। वहीं, इस कंपनी की 42 अरब डॉलर की हिस्सेदारी है। NBIM नॉर्वे सरकार के 1.4 ट्रिलियन डॉलर के पेंशन फंड को मैनेज करती है जो स्टॉक मार्केट में दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टर है। विदेशी कंपनी की भी बड़ी मजबूरी है चीन को छोड़ने की इसके कई कारण सामने आए है। चीनी सरकार का खराब रवईया है और जिस तरह से चीनी सरकार दूसरों के कारोबार में दखल देती है, उससे विदेशी कंपनियां नाराज हैं। वहीं चीन की डूबती इकोनॉमी भी देश छोड़ने की वजह है। चीन का रियल स्टेट सेक्टर भारी संकट में है, जिसने कंपनियों की मुश्किलें और बढ़ा दी है। नॉर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट समेत कई बड़ी विदेशी कंपनियों ने चीन में कारोबार को बंद कर दिया है।
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शेयर मार्केट की बात करे तो, निवेशक भी चीनी इकोनॉमी के बुरे प्रदर्शन से नाराज है और इकोनॉमी डूबने के चलते निवेशक शेयर मार्केट से निकाल रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े पेंशन फंड्स में से एक ओंटारियों टीचर्स पेंशन प्लान ने हाल में हॉन्ग कॉन्ग में अपने चाइना इक्विटी इन्वेस्टमेंट को बंद कर दिया था। अमेरिकी टेक पर फोकस करने वाली रिसर्च एंड एडवाइजरी फर्म Forrester Research ने भी चीन में अपने एनालिस्ट्स की संख्या कम करने का प्लान बनाया है। चीन नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर कंपनियों में ताक-झांक कर रहा है, जिसकी वजह से विदेशी कंपनियों का भरोसा चीन पर डगमगा गया है। जिसके चलते विदेशी कंपनियां चीन से अपना कारोबार बंद कर रही हैं और दूसरे देशों का रुख कर रही हैं। इसमें भारत वियतनाम और दूसरे देश शामिल है।