प्याज के बाद अब लहसुन ने रूलाया, आसमान पर पहुंचे भाव

एक्सपर्ट्स के मुताबिक मानसून के दौरान कम बारिश और बाद में बेमौसम बारिश की वजह से लहसुन का उत्पादन कम हुआ है। उन्होंने बताया कि इसके चलते उन्हें गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

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लहसुन के भाव सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं
लहसुन के भाव सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं

By BT बाज़ार डेस्क:

पिछले कुछ समय पहले प्याज ने आम आदमी के आंसू निकाले थे। लेकिन अब लहसुन उसी रास्ते पर चल पड़ा है। जी हां, लहसुन के भाव सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। कीमतों में लगातार उछाल जारी है और अब ये एक आम आदमी की जेब पर भारी पड़ने लगा है। अब यहां तीन सवाल हैं - पहला लहसुन की कीमत कहां पहुंच गई है। दूसरा सवाल - लहसुन की महंगाई क्यों आई और तीसरा - क्या इन कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार की ओर से कोई कदम उठाया जा रहा है? क्योंकि हमने आपको प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव और सरकार के कदमों से जुड़ी हर जानकारी दी थी और लहसुन के बारे में भी हम ऐसा ही करेंगे। क्योंकि ये आपकी जेब से जुड़ा मामला है। रिटेल बाजार में लहसुन की कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं जानकारों की मानें तो लहसुन की कीमतों में आने वाले दिनों में और उछाल देखने को मिल सकता है। पिछले महीने MPAC Wholesale Yard में ग्राहकों को लहसुन का गट्ठा 100 रुपए से 150 रुपए प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा था। लेकिन अब ये पिछली पिछली कीमत से बढ़कर 150 रुपए से 250 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है। जिसके चलते खुदरा कीमत अब 300 से 400 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।

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अब अगला सवाल उठता है कि अचनाक लहसुन के दामों में आग क्यों लगी? दरअसल मौसम की मार के चलते लहसुन की फसल खराब हुई है। जाहिर सी बात है इसका असर लहसुन के उत्पादन पर पड़ा रहा है। इस खराब फसल की वजह से सप्लाई में गिरावट आई है। महाराष्ट्र में अब मुंबई के थोक व्यापारी गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से लहसुन खरीद रहे हैं। इसका असर लहसुन की कीमतों पर पड़ा है। लहसुन की कम आपूर्ति के कारण पिछले कुछ हफ्तों में इसकी कीमत करीब दोगुना तक बढ़ चुकी है। यहां तक एक झटका और लगेगा आपको यहां। व्यापारियों का अनुमान है कि ये स्थिति में जल्द सुधार नहीं होगा। अभी लहसुन की कीमतों में गिरावट के आसार नहीं हैं। मौजूदा समय में थोक बाजार में प्रतिदिन 15-20 ट्रक और मिनी वैन आते हैं, जो 25 से 30 व्हीकलस की सामान्य एंट्री से कम हैं। वहीं दक्षिणी राज्यों से आवक भी काफी हद तक बंद हो गई है। इससे सप्लाई की कमी बढ़ गई है। इनका असर लहसुन की कीमतों पर पड़ा है। APMC Traders के मुताबिक, ऊटी और मालापुरम से आपूर्ति में काफी गिरावट आई है, जिससे महंगाई बढ़ गई है। पिछले महीने की तुलना में कीमतें इस सीजन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। इससे रसोई के बजट पर असर पड़ा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मानसून के दौरान कम बारिश और बाद में बेमौसम बारिश की वजह से लहसुन का उत्पादन कम हुआ है। उन्होंने बताया कि इसके चलते उन्हें गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इससे भी लहसुन की कीमतें बढ़ रही हैं। व्यापारियों के मुताबिक, नई फसल को बाजार में आने में अभी समय लगेगा। ऐसे में तब तक कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है। अक्टूबर और नवंबर में बेमौसम बारिश के कारण कई हिस्सों में फसल बर्बाद हो गई।

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