Budget में F&O पर लगने वाला है भारी-भरकम टैक्स? पढ़िए क्या कहती हैं रिपोर्ट्स

मोदी 3.0 का पहला बजट आने से पहले ही जबरदस्त सुर्खियों में है। अभी तक तो खबरें ये चल रही थी कि सरकार इस बजट में आम लोगों को टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत दे सकती है।

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Budget में F&O पर लगने वाला है भारी-भरकम टैक्स
Budget में F&O पर लगने वाला है भारी-भरकम टैक्स

By Harsh Verma:

मोदी 3.0 का पहला बजट आने से पहले ही जबरदस्त सुर्खियों में है। अभी तक तो खबरें ये चल रही थी कि सरकार इस बजट में आम लोगों को टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत दे सकती है। पुराने और नए टैक्स रिजीम में टैक्स की दरों को कम कर सकती है। लेकिन अब जो खबर निकलकर आ रही है। वो F&0 पर है। डेरेविटिव्स को लेकर क्या सरकार बजट में बड़ा फैसला लेने जा रही है? मीडिया में तो ढेरों इस तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो F&0 पर भारी-भरकम टैक्स लगाने पर विचार कर रही है सरकार।  

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फ्यूचर एंड ऑप्शन पर लगने वाले टैक्स

सबसे पहले आप फ्यूचर एंड ऑप्शन पर लगने वाले टैक्स नियम समझ लीजिए ताकि आपके आगे की स्टोरी समझने में किसी भी तरह की परेशानी न हो। अभी तक F&O पर  स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है। अगर आप 5% या फिर 10% के स्लैब में आते हैं तो आपको डेरेविटेव्स के मुनाफे पर इसी आधार पर टैक्स देना होता है और इतना ही नहीं बल्कि मान लीजिए एक साल में फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग के दौरान लॉस भी हो गया तो वो भी आप अगले साल होने वाले प्रॉफिट के साथ सेटऑफ कर सकते हैं यानि टैक्स बचा सकते हैं। यहां तक के बड़े ट्रेडर्स हैं वो भी हेजिंग के लिए फ्यूचर एंड ऑप्शन का इस्तेमाल करते हैं ताकि अपने लॉस को कम कर सकें।  

अब समझते हैं कि रिपोर्ट्स आई क्या है?

 रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार बजट में फ्यूचर एंड ऑप्शन को लॉटरी के तौर पर ट्रीट कर सकती है। इसका मतलब क्या हुआ? लॉटरी पर फ्लैट 30 प्रतिशत का टैक्स लगता है।  यानि इन रिपोर्ट्स की मानें तो अगर F&o के जरिए आपने 1 लाख की कमाई की तो सीधा 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। इतना नहीं मीडिया में रिपोर्ट्स के हिसाब से सरकार इसे क्रिप्टोकरेंसी के तौर ट्रीट कर सकती है। यानि बिजनेस इनकम की जगह इसे स्पेक्यूलेटिव इनकम में रखा जा सकता है। इसका एक मतलब ये भी होता है कि अब जिस तरह से नुकसान को प्रॉफिट के साथ एडजस्ट किया जा सकता था, अगर ऐसा हुआ तो आगे वो भी नहीं हो पाएगा। 

डेरेविटिव्स की आय पर TDS

इतना ही नहीं ये भी खबरें हैं कि डेरेविटिव्स की आय पर TDS भी लगाया जा सकता है। टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स के हिसाब से पहले टैक्स काट लिया जाएगा फिर उसके बाद एक साल बाद आप वापस लेते रहो बकाया। क्योंकि वापस TDS के लिए आपको रिटर्न फाइल करना पड़ेगा। जिसका मतलब सरकार ट्रेडर्स को ट्रेक कर सकेगी। तमाम तरह के ट्रेडर्स को जो रोजाना ट्रेडिंग करते हैं। 

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F&O की ट्रेडिंग पर STT यानी सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स

एक और सुझाव सुन लीजिए। F&O की ट्रेडिंग पर STT यानी सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स बढ़ाया जा सकता है। सिफारिश में कहा गया है कि STT में ये बढ़ोतरी सिर्फ उन HFT पर की जाए जिनका टर्नओवर एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। HFT यानी हाई फ्रिक्वेंसी ट्रेडर्स। दूसरे शब्दों में कहें तो जो ट्रेडर ज्यादा ट्रेडिंग F&O में करते हैं उनपर STT बढ़ाई जाए। इसके पीछे दलील ये है कि अगर HFT पर टैक्स बढ़ाया जाएगा तो F&O में उनकी भागीदारी कम होगी.

HFT को कम फायदा होने का सीधा सा मतलब ?

इससे HFT को कम फायदा होगा. HFT को कम फायदा होने का सीधा सा मतलब है कि रीटेल निवेशकों का नुकसान भी कम होगा। दरअसल ये सारी कवायद रिटेल निवेशकों के लिए की जा रही है ताकि &O में रिटेल ट्रेडर की बढ़ती भागीदार कम की जा सके।  पिछले दिनों वित्त मंत्री ने F&O में रिटेल ट्रेडर की बढ़ती भागीदार को लेकर अपनी चिंता जता चुकी हैं. वित्त मंत्री चाहती हैं कि F&O ट्रेडिंग में आने वाले रिटेलर्स के हितों की रक्षा की जाए, क्योंकि सबसे ज्यादा नुकसान उठाता है रिटेल निवेशक।

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