CNG Car Vs Electric Vehicle : किसने मारी बाजी? ग्राहकों को क्या आ रहा है पसंद

भारत में फिलहाल इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री सुस्ती चाल से सरकती नजर आ रही है। फिलहाल CNG और हाइब्रिड कारों की तरफ ग्राहकों की ज्यादा दिलचस्पी बढ़ती नजर आ रही है। लेकिन जिस दिन देश में चार्जिंग इंफ्रा पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो उसके बाद इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड टॉप गियर में आ जाएगी।

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By Harsh Verma:

भारत में फिलहाल इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री सुस्ती चाल से सरकती नजर आ रही है। फिलहाल CNG और हाइब्रिड कारों की तरफ ग्राहकों की ज्यादा दिलचस्पी बढ़ती नजर आ रही है। लेकिन जिस दिन देश में चार्जिंग इंफ्रा पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो उसके बाद इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड टॉप गियर में आ जाएगी। इसके असर से देश में बिजली की खपत में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ऐसे में देश में EVs को बढ़ावा मिलने के साथ इनकी चार्जिंग के लिए बिजली उत्पादन की चुनौती सामने भी आने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

दरअसल, आने वाले बरसों में बिजली का काफी हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग में इस्तेमाल होगा। निवेश मैनेजमेंट फर्म IKIGAI एसेट मैनेजर होल्डिंग्स की रिपोर्ट में दावा किया है कि  2035 तक भारत की कुल बिजली खपत में EVs का हिस्सा 6 से 8.7 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। ये EVs के बढ़ते इस्तेमाल और पावर ग्रिड पर इसके संभावित असर की भी जानकारी दे रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग

इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए ज्यादा बिजली की जरुरत दुनिया के हर उस देश में होगी जहां पर इनका इस्तेमाल बढ़ेगा। रिपोर्ट में बताया है कि दुनियाभर में EV का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। पिछले साल दुनियाभर में कुल कार बिक्री में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 18 फीसदी रही थी। EV के इस्तेमाल में बढ़ोतरी का वैश्विक बिजली खपत पर भी काफी असर होने का अनुमान है। अनुमान लगाया है कि EV की बढ़ती पहुंच के साथ वैश्विक बिजली खपत में उनकी हिस्सेदारी 2023 के आधा फीसदी से बढ़कर 2035 तक 8.1 से 9.8 परसेंट के बीच हो जाएगी।

इससे साफ संकेत मिल रहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में आने वाले बरसों में भारत समेत दुनियाभर में तेजी आ सकती है। भारत जैसे देशों को बिजली डिमांड को पूरा करने के लिए अपने बुनियादी ढांचे को तैयार करने की जरूरत है। जैसे-जैसे लोग इलेक्ट्रिक वाहन अपनाएंगे वैसे-वैसे बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्षमता का विस्तार करने की जरुरत होगी। आने वाले दशक में इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए बिजली की जरूरत के साथ दूसरे वैकल्पिक तरीके भी इजाद करने होंगे। इसके साथ ही भारत में कूलिंग डिवाइस की बढ़ती मांग जैसे एक और गंभीर मामले पर भी फोकस किया गया है। 

क्या हैं अहम मुद्दे?

-देशभर में तापमान के लगातार बढ़ने के साथ एयरकंडीशनर जैसे कूलिंग डिवाइसों की मांग में तेजी से इजाफा होगा 
-रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी बढ़ने से 2030 तक भारत में AC की मांग दोगुनी हो सकती है
-इससे भी देश में कुल बिजली खपत में बढ़ोतरी होगी

ऐसे में भारत को ग्लोबल वार्मिग से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी करने की जरुरत है। देश में प्रदूषण को भी रोकना जरुरी है क्योंकि इसने भी एयर प्योरीफायर जैसे बिजली से चलने वाले इक्विपमेंट्स की मांग को बढ़ाने का काम किया है।

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