ट्रंप के सामने चुनौती: क्या नए अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया को जंग से मुक्ति दिला पाएंगे?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वो विश्व शांति को प्राथमिकता देंगे, और उनके समर्थक अब रूस-यूक्रेन से लेकर इजरायल-ईरान तक के संघर्षों का समाधान चाह रहे हैं। लेकिन क्या ट्रंप अपने वादों को हकीकत में बदल पाएंगे?

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By Ankur Tyagi:

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वो विश्व शांति को प्राथमिकता देंगे, और उनके समर्थक अब रूस-यूक्रेन से लेकर इजरायल-ईरान तक के संघर्षों का समाधान चाह रहे हैं। लेकिन क्या ट्रंप अपने वादों को हकीकत में बदल पाएंगे?

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ट्रंप का रुख

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 987 दिनों से जारी है, और अमेरिका अब तक यूक्रेन को लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे चुका है। ट्रंप ने इस सहायता को रोकने और युद्ध को समाप्त करने की इच्छा जताई है, जिससे नाटो देशों में चिंता बढ़ गई है। ट्रंप का ये फैसला युद्ध में नए देशों की भागीदारी की आशंका को बढ़ा सकता है।

इजरायल-हमास संघर्ष में ट्रंप की भूमिका

ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का समर्थन करने का इरादा जाहिर किया है, जिससे इजरायल-हमास संघर्ष में नई दिशा देखने को मिल सकती है। ट्रंप ने 20 जनवरी की डेडलाइन भी तय की है, जिससे यह स्पष्ट है कि वे जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएंगे। सवाल यह है कि क्या ट्रंप हमास को कोई समझौता प्रस्ताव देंगे, जिसमें बंधकों के बदले कुछ रियायतें दी जा सकती हैं?

ईरान और लेबनान में तनाव

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद लेबनान में हिजबुल्लाह पर बड़ा हमला हुआ है और ईरान-इजरायल के बीच तनाव भी बढ़ रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ट्रंप इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की अनुमति देंगे। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ट्रंप के सलाहकार रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें 800 मील लंबा डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन (DMZ) स्थापित करने का प्रस्ताव है। हालांकि, DMZ की निगरानी कौन करेगा, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

पुतिन के साथ ट्रंप की केमिस्ट्री

ट्रंप और पुतिन के बीच अच्छे संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों ने पिछली मुलाकात में दोस्ताना माहौल में बातचीत की थी। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में वादा किया था कि वे पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मिलकर युद्ध समाप्त करेंगे। हालांकि, अमेरिका में ट्रंप के इस रुख पर मिलेजुले विचार हैं।

ट्रंप के सामने चुनौती

ट्रंप के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपने वादों को कैसे पूरा करेंगे। उनके पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन का कहना है कि ट्रंप किसी भी हाल में युद्ध खत्म करना चाहते हैं, भले ही इसके परिणाम कुछ भी हों। इससे यूरोप में रूस की स्थिति मजबूत हो सकती है, जो नाटो देशों के लिए चिंता का विषय है।

पुतिन का समर्थन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप को जीत की बधाई देते हुए उन्हें 'साहसी व्यक्ति' बताया है। पुतिन का कहना है कि ट्रंप इस बार अपने वादों पर कायम रहेंगे और अमेरिका का साथ देंगे। अगर ट्रंप उन्हें बातचीत का निमंत्रण देंगे, तो पुतिन इसे गंभीरता से लेंगे।

जेलेंस्की की चुनौती

ट्रंप की जीत से यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की चिंता बढ़ गई है। ट्रंप अगर यूक्रेन की मदद रोकते हैं, तो इससे यूक्रेनी सेना कमजोर हो सकती है। अगर ट्रंप अपने वादों के अनुसार युद्ध रोकने में सफल होते हैं, तो रूस की जीत निश्चित हो सकती है और नाटो के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।

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