क्या सच में 22 सितंबर से ग्राहकों को मिलेगा नए GST रेट का फायदा? दुकानदारों की चिंता - पुराने स्टॉक का क्या करें

नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या उसी दिन से सामान सस्ता हो जाएगा? और क्या दुकानदार अपने पुराने स्टॉक पर ग्राहकों को नए जीएसटी रेट का फायदा देने के लिए तैयार है?

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GST Rate Cut Impact
22 सितंबर से लागू होंगी जीएसटी की नई दरें (File Photo: ITGD)

By Gaurav Kumar:

New GST Rates: सरकार ने दिवाली से पहले देशवासियों को राहत देते हुए जीएसटी दरों में बड़ा बदलाव किया है। अब 12% और 28% स्लैब हटाकर सिर्फ 5% और 18% का टैक्स स्लैब रखा गया है जिसका सीधा असर रोजमर्रा के सामानों से लेकर टीवी, फ्रिज, एसी और यहां तक कि कार-बाइक की कीमतों पर पड़ेगा।

नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या उसी दिन से सामान सस्ता हो जाएगा? और क्या दुकानदार अपने पुराने स्टॉक पर ग्राहकों को नए जीएसटी रेट का फायदा देने के लिए तैयार है?

दुकानदारों की दुविधा: पुराना स्टॉक और नई दरें

आजतक के रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा के किराना दुकानदार तेजपाल सिंह ने कहा कि हमारे पास पुराना स्टॉक पड़ा है, जिसे धीरे-धीरे बेचा जाता है। जीएसटी रेट कट का असर तभी दिखेगा जब नया माल आने लगेगा। तब तक हम पुराने दाम पर ही बेच पाएंगे।

इसी तरह, दुकानदार नरेश का कहना है कि सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है लेकिन असली फायदा ग्राहकों तक तभी पहुंचेगा जब नया माल सप्लाई होगा। पुराना माल तो हम उसी रेट पर बेचेंगे, नया आएगा तो सस्ता देंगे।

सीटीआई की चिंता: तैयार हैं व्यापारी?

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने कहा कि सरकार ने करीब 400 उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी घटाया है। लेकिन असली चुनौती यह है कि दुकानों और गोदामों में पुरानी दरों वाला माल पहले से मौजूद है।

सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि पुराने माल पर दाम कैसे घटाएं, यह बड़ी चुनौती है। कंपनियों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और दुकानदारों को आपसी समन्वय करना होगा।

क्या है सॉल्यूशन?

सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि कंपनियां डीलरों को क्रेडिट नोट जारी कर सकती हैं ताकि पुराने स्टॉक पर नुकसान न हो। साथ ही, उत्पादों पर नई MRP स्टिकर लगाए जा सकते हैं। कुछ कंपनियां कीमत घटाने की बजाय पैकिंग का वजन बढ़ा सकती हैं, जैसे 10 रुपये के बिस्किट पैक में पहले से ज्यादा बिस्किट देना।

बड़ी कंपनियां vs छोटे दुकानदार

रिलायंस और डीमार्ट जैसी बड़ी कंपनियां अपने बिलिंग सिस्टम और पीओएस मशीनों को तुरंत अपडेट कर सकती हैं। लेकिन मोहल्लों की किराना दुकानों के लिए यह तकनीकी बदलाव कठिन साबित हो सकता है।

22 सितंबर से नई दरें लागू तो होंगी, लेकिन ग्राहकों तक इसका सीधा फायदा तब मिलेगा जब नया स्टॉक दुकानों में पहुंचेगा। छोटे व्यापारियों के लिए यह बदलाव बड़ी चुनौती है, क्योंकि पुरानी दरों का माल घाटे में बेचने का दबाव रहेगा।

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