हाई GST से बढ़ सकता है खतरा: इंडियन गेमर्स जा सकते हैं गैरकानूनी बेटिंग प्लेटफॉर्म्स की ओर
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सरकार ने इस पर 28% जीएसकटी लगा दिया है। इसका असर गेमिंग इंडस्ट्री पर देखने को मिलेगा।

भारत का ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग सेक्टर (Online Real Money Gaming Sector) पिछले दो साल से लगातार झटके झेल रहा है। सबसे पहले 28% GST आया, जिसके बाद कंपनियों ने अपने बिजनेस मॉडल बदले, प्लेयर सेफ्टी और कंप्लायंसपर फिर से काम किया। अब अगर इस टैक्स को बढ़ाकर 40% कर दिया जाता है, तो ये सिर्फ गोलपोस्ट बदलना नहीं होगा, बल्कि पूरा खेल ही ऑफशोर चला जाएगा।
डबल टैक्सेशन से खिलाड़ियों का झुकाव
जब कंप्लायंस महंगा हो जाता है तो गलत तरीके अपनाने वाले ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। पहले से ही गैरकानूनी ऑफशोर बेटिंग साइट्स भारतीय यूजर्स को “नो KYC”, “टैक्स-फ्री विनिंग्स”, और “नो TDS/GST” जैसी स्कीमें दिखाकर खींच रही हैं। एक हालिया स्टडी के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर 2024 के बीच सिर्फ तीन महीने में 1.6 बिलियन विज़िट्स ऐसे साइट्स पर रिकॉर्ड हुईं।
Shashank Shekhar Gauruyar, Chairman, Cyber Vidyapeeth का कहना है कि अगर टैक्स रेट्स लगातार बढ़ाए जाएंगे तो खिलाड़ी सुरक्षित प्लेटफॉर्म्स से हटकर अवैध प्लेटफॉर्म्स पर जाएंगे। ये न सिर्फ रेवेन्यू लॉस है, बल्कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन पर भी सीधा खतरा है।
भारत के रेगुलेटर्स लगातार इन साइट्स पर एक्शन ले रहे हैं। 2022 से 2025 के बीच MeitY ने 1,410 ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए। संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक अब तक 1,524 से ज्यादा गैरकानूनी बेटिंग/गैंबलिंग साइट्स और ऐप्स ब्लॉक की जा चुकी हैं। लेकिन जैसे ही एक साइट बंद होती है, उसका मिरर डोमेन सामने आ जाता है।
कानूनी प्लेटफॉर्म बनाम गैरकानूनी प्लेटफॉर्म
1 अक्टूबर 2023 से लीगल प्लेटफॉर्म्स 28% GST के साथ-साथ नेट विनिंग्स पर 30% TDS भी दे रहे हैं। उन्होंने CBDT के रूल्स के हिसाब से सिस्टम बनाए, डिस्क्लोज़र जोड़े और खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए कंट्रोल्स बनाए। दूसरी तरफ, गैरकानूनी ऑफशोर साइट्स इन सबसे बचकर “नो टैक्स, हाई बोनस” का लालच देकर खिलाड़ियों को खींच रही हैं।
विज्ञापनों का जाल
Advertising Standards Council of India (ASCI) की रिपोर्ट बताती है कि 2024–25 में गैरकानूनी बेटिंग प्लेटफॉर्म्स टॉप एड वॉयलेटर रहे। ये अक्सर इन्फ्लुएंसर कैंपेन, स्पोर्ट्स न्यूज और कम्युनिटी पेजेज़ के जरिए खिलाड़ियों को खींचते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ Meta पर 2024 के आखिर में 1,000 से ज्यादा ऐसे एड्स रन हुए।
सरकार का तर्क है कि ज्यादा GST से राजस्व बढ़ेगा। लेकिन असलियत ये है कि खिलाड़ी टैक्स-फ्री वादों के चलते गैरकानूनी साइट्स की ओर भागेंगे। लीगल प्लेटफॉर्म्स “नो GST/TDS” का प्रचार नहीं कर सकते, लेकिन अवैध प्लेटफॉर्म्स ये खुलेआम करते हैं। इससे सरकार को राजस्व भी नहीं मिलेगा और खिलाड़ियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी।
शशांक शेखर गौरुयर ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां डिजिटल इकॉनमी (Digital Economy) तेजी से बढ़ रही है, वहां अगर पॉलिसीज बैलेंस न हों तो खिलाड़ी सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। एक्सट्रीम टैक्स रेट्स डिमांड खत्म नहीं करते, बस उसे छुपा देते हैं।
इसके आगे उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का Gameskraft केस अभी पेंडिंग है। जब तक फैसला न आ जाए, नई दरों का झटका नहीं देना चाहिए। इसके अलावा अगर बदलाव जरूरी है तो ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू (GGR) बेस पर एक समझदारी भरी दर लागू करनी चाहिए, न कि 40% डिपॉजिट पर।