डिजिटल ऐप और OTT सब्सक्रिप्शन से छुटकारा पाना क्यों हो गया है मुश्किल? सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Dark Patterns in OTT App Subscriptions: LocalCircles नाम के एक कम्युनिटी प्लेटफॉर्म द्वारा की गई नई रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि भारत के हर दो में से एक डिजिटल यूजर को सब्सक्रिप्शन बंद करने में काफी परेशानी आती है।

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By Priyanka Kumari:

आज के दौर में हम सभी किसी न किसी OTT प्लेटफॉर्म (OTT platform) या ऐप का सब्सक्रिप्शन लेते हैं चाहे वह मनोरंजन के लिए हो या पढ़ाई, फिटनेस या शॉपिंग के लिए। लेकिन क्या आपने कभी महसूस किया है कि जिस तरह सब्सक्रिप्शन लेना आसान होता है, उसी तरह उसे कैंसिल करना उतना ही मुश्किल हो गया है?

LocalCircles नाम के एक कम्युनिटी प्लेटफॉर्म द्वारा की गई नई रिपोर्ट से ये बात सामने आई है कि भारत के हर दो में से एक डिजिटल यूजर को सब्सक्रिप्शन बंद करने में काफी परेशानी आती है। देशभर के 353 जिलों से 95,000 से ज्यादा यूजर्स की राय ली गई, और नतीजे चौंकाने वाले हैं।

छिपाए जाते हैं ‘Cancel’ के ऑप्शन

रिपोर्ट बताती है कि कई बार ऐप या वेबसाइट में Unsubscribe या Cancel का बटन होता ही नहीं, या फिर इतने अंदर छुपा होता है कि आम यूजर को उसे ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि लोग अनजाने में ही महीनों तक एक सेवा के लिए पैसा देते रहते हैं।

फ्री ट्रायल के नाम पर फंसाना

सबसे आम चालों में से एक सब्सक्रिप्शन ट्रैप (Subscription Trap) है। इसमें आपको पहले फ्री ट्रायल दिया जाता है, लेकिन जब आप उसे बंद करना चाहते हैं तो प्लेटफॉर्म आपको बाहर निकलने ही नहीं देता। कई यूजर्स ने शिकायत की कि उन्हें बार-बार चार्ज कर दिया गया क्योंकि उन्हें समझ ही नहीं आया कि कहां से सब्सक्रिप्शन हटाना है।

जबरन ऐप डाउनलोड करना

कुछ ऐप्स यूजर को सर्विल लेने के लिए जरूरत से ज्यादा जानकारी मांगते हैं या एक और ऐप डाउनलोड करने के लिए मजबूर करते हैं। यह Forced Action कहा जाता है। ये भी एक तरह की डार्क पैटर्न (Dark Pattern) स्ट्रैटेजी है।

रिपोर्ट में बताया गया कि 53% यूजर्स को शुरू में कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं बताया गया, लेकिन जब पेमेंट का आखिरी स्टेप आता है तो अचानक ड्रिप प्राइसिंग (Drip Pricing) दिखने लगी। यानी जो प्लान शुरुआत में सस्ता दिखता है लास्ट में महंगा हो जाता है।

इंटरफेस डिजाइन से भ्रम फैलाना

Interface interference भी एक बड़ी परेशानी है। ऐप्स या वेबसाइट पर इस तरह का डिजाइन किया जाता है जिससे यूजर को सही ऑप्शन समझ में न आए। जैसे पहले से टिक किए गए बॉक्स, रंगों से भ्रमित करना, या ऐसा बटन जो असल में कुछ और करता हो।

कैंसिल के बाद भी पैसा कटना

24% यूजर्स ने बताया कि उन्होंने सब्सक्रिप्शन बंद कर दिया था, फिर भी उनके अकाउंट से पैसा कटता रहा। इसे SaaS billing issue कहा जाता है। ये सबसे खतरनाक तरीका है जिससे यूजर्स का भरोसा टूटता है।

कई लोगों ने कहा कि अब OTT प्लेटफॉर्म भी पुराने केबल टीवी जैसे हो गए हैं जहां ना साफ बिलिंग है, ना पारदर्शिता और विज्ञापन भी बहुत ज्यादा है। 

सरकार की चेतावनी भी बेअसर?

नवंबर 2023 में सरकार की ओर से एक चेतावनी जारी की गई थी कि सभी डिजिटल कंपनियां अपनी वेबसाइट और ऐप से डार्क पैटर्न हटाएं। उन्हें तीन महीने का समय दिया गया था। लेकिन इस रिपोर्ट से साफ है कि ज्यादातर कंपनियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।

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