UPI के जमाने में इस राज्य के लोग करते हैं सबसे ज्यादा कैश का इस्तेमाल, टॉप 3 में कहीं आपका राज्य तो नहीं?

CMS कंजम्पशन रिपोर्ट 2025 से साफ होता है कि भारत में कैश आधारित खर्च का ट्रेंड अब भी मजबूत है। बिहार जैसी राज्य की एंट्री इस लिस्ट में यह भी दर्शाती है कि छोटे राज्य भी अब खर्च करने की ताकत रखते हैं।

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By Priyanka Kumari:

अगर आप सोचते हैं कि डिजिटल पेमेंट्स (Digital Payments) का जमाना है और कैश खर्च कम हो रहा है, तो CMS Consumption Report 2025 आपको चौंका सकती है। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि बिहार पहली बार देश के टॉप 3 कैश खर्च करने वाले राज्यों में शामिल हो गया है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश ने पहले से ही अपनी टॉप पोजिशन बनाए रखी है, लेकिन बिहार की यह छलांग खास मानी जा रही है।

कैश से अब भी कर रहे लोग बड़े खर्च

CMS इंफो सिस्टम्स की इस रिपोर्ट से साफ है कि लोग अब भी अपनी बड़ी खरीदारी जैसे कि घर की सजावट, एफएमसीजी (FMCG), और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (Consumer Durables) के लिए कैश का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर औसत मासिक खर्च में 72% की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पहले ये आंकड़ा महज 6% था।

मल्टी-ब्रांड स्टोर बन रहे हैं पहली पसंद

रिपोर्ट बताती है कि मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स पर खर्च 12% बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसमें 29% की गिरावट आई थी। लोग अब महंगे और प्रीमियम प्रोडक्ट्स को दुकानों में जाकर खरीदना पसंद कर रहे हैं। इससे यह भी समझ आता है कि अब लोग पहले से ज्यादा ब्रांड को लेकर जागरूक हो गए हैं।

एफएमसीजी सेक्टर में वापसी

पिछले कुछ सालों में FMCG सेक्टर में गिरावट देखी गई थी। FY2023 में खर्च में 22% की गिरावट आई थी, लेकिन FY2025 में यह सेक्टर फिर से रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। अब खर्च में 4% की बढ़त देखी गई है, जिससे साफ है कि लोग जरूरी चीजों पर खर्च करना जारी रखे हुए हैं।

क्विक कॉमर्स ने दिखाई तेजी

लोकल डिलीवरी और क्विक कॉमर्स की वजह से लोगों का खर्च करने का तरीका भी बदला है। रिपोर्ट के अनुसार, हाइपर-लोकल डिलीवरी के कारण क्विक कॉमर्स में 10% की सालाना ग्रोथ दर्ज की गई है। इससे साफ है कि लोग तेजी से सामान घर मंगवाने को अहमियत दे रहे हैं।

ATM से कैश निकालने में भी ग्रोथ

रिपोर्ट में एक दिलचस्प जानकारी ये भी है कि वित्त वर्ष 2025 में ATM से औसतन 5,658 रुपये प्रति माह निकाले जा रहे हैं, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3% ज्यादा है। इसका मतलब है कि डिजिटल के बढ़ते चलन के बावजूद, कैश की मांग अब भी बनी हुई है।

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