वीडियोग्राफी से व्लॉगिंग तक: ऐसे चुनें अपने लिए परफेक्ट ड्रोन

बाजार में सैकड़ों विकल्प मौजूद हैं, लेकिन हर यूजर की जरूरत अलग होती है। इसलिए ब्रांड या कीमत देखकर नहीं, बल्कि अपने इस्तेमाल के आधार पर ड्रोन चुनें।

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By Gaurav Kumar:

How to choose best Drone: वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की दुनिया में ड्रोन ने क्रांति ला दी है। अब चाहे शादी हो, ट्रैवल व्लॉग हो या रियल एस्टेट शूट हो हर जगह एरियल व्यू आम हो गया है। लेकिन ड्रोन खरीदने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना काफी महत्वपूर्ण है, नहीं तो पैसा और समय दोनों बर्बाद हो सकते हैं क्योंकि ड्रोन खरीदना अब शौक भर नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर लिया गया तकनीकी निर्णय है। 

बाजार में सैकड़ों विकल्प मौजूद हैं, लेकिन हर यूजर की जरूरत अलग होती है। इसलिए ब्रांड या कीमत देखकर नहीं, बल्कि अपने इस्तेमाल के आधार पर ड्रोन चुनें। साथ ही, ड्रोन को उड़ाना केवल तकनीकी स्किल नहीं, एक कानूनी जिम्मेदारी भी है जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

भारत में ऐसे कई जगह हैं जहां आपको ड्रोन उड़ाने से पहले स्थानीय प्रशासन की मंजूरी या डीजीसीए (DGCA) की गाइडलाइंस का पालन करना होता है। नियमों का उल्लंघन करने पर आप पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

ऐसे चुनें अपने लिए अच्छा ड्रोन

अगर आप वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी के लिए ड्रोन लेना चाहते हैं, तो हाई-रेजोल्यूशन कैमरे वाला मॉडल चुनें जिसमें Gimbal सपोर्ट हो। यह आपको स्थिर और प्रोफेशनल क्वालिटी की फुटेज देगा।

अगर आप रेसिंग के शौकीन हैं तो आप अपने लिए हाई-स्पीड, लाइटवेट ड्रोन जिसमें लंबा बैटरी बैकअप हो ऐसा ड्रोन लें।

अगर मैपिंग या सर्वे के लिए ड्रोन चाहिए तो इसके लिए GPS और लॉन्ग रेंज कंट्रोल्स वाला ड्रोन बेहतर रहेगा।

सिर्फ मौज-मस्ती के लिए ड्रोन लेना है तो एक बजट फ्रेंडली ड्रोन ले लें।

ड्रोन लेते वक्त इन फीचर्स पर ध्यान दें

ड्रोन का चुनाव करते समय कुछ जरूरी फीचर्स पर भी ध्यान दें जैसे- कैमरा क्वालिटी, फ्लाइट टाइम, रेंज, GPS, Return-to-Home और Obstacle Avoidance। ये फीचर्स न केवल यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाते हैं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी हैं।

ड्रोन उड़ाने से पहले नियमों की जानकारी बेहद जरूरी है। एयरपोर्ट, आर्मी या नेवी बेस और हाई सिक्योरिटी एरिया नो-फ्लाइंग जोन होते हैं। इन इलाकों में ड्रोन उड़ाने पर ड्रोन जब्त हो सकता है और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। DGCA से अप्रूव ऐप्स के जरिए नो-फ्लाइंग जोन की जानकारी ली जा सकती है।

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