Google Pay: बिल पेमेंट करना हुआ महंगा! यूजर्स को देना होगा Convenience Fee - DETAILS

यूपीआई-आधारित ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म Google Pay अब अपने यूजर्स से क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए बिल पेमेंट करने पर सुविधा शुल्क (Convenience Fee) चार्ज करेगा।

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By Gaurav Kumar:

Google Pay Convenience Fee: अगर आप भी Google Pay का इस्तेमाल करते है तो आपको यह खबर ध्यान से पढ़नी चाहिए। कई लोग मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान जैसी सर्विस के लिए Google Pay का उपयोग करते हैं।  दरअसल अब गूगल पे से बिल पेमेंट करना आपको महंगा पड़ेगा। 

यूपीआई-आधारित ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म Google Pay अब अपने यूजर्स से क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए बिल पेमेंट करने पर सुविधा शुल्क (Convenience Fee) चार्ज करेगा। यह चार्ज ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.5% से 1% + जीएसटी तक हो सकता है। चाहे आप अपना बिल पमेंट करें या फिर किसी और का आपको Convenience Fee अब देना होगा। 

क्रेडिट/डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर देना होगा प्रोसेसिंग फीस 

क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए यूटिलिटी बिल जैसे-  बिजली और गैस बिल का पेमेंट करने पर अब Google Pay यूजर्स को प्रोसेसिंग फीस देना होगा।

UPI ट्रांजैक्शन फ्री रहेगा 

प्रतिदिन आप जैसे सामान्य तौर पर QR कोई स्कैन करके या मोबाइल नंबर पर यूपीआई पेमेंट करते हैं, यह अभी भी फ्री रहेगा। इसपर यूजर्स को कोई चार्ज नहीं देना है। 

क्या है इंडस्ट्री ट्रेंड?

गूगल पे के कंपीटिटर, जैसे PhonePe और Paytm जैसी कंपनियां भी बिल पेमेंट, रिचार्ज और अन्य सर्विस के लिए Convenience Fee लेते हैं।

फिनटेक फर्मों के लिए बढ़ती लागत

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक PwC विश्लेषण का अनुमान है कि फिनटेक कंपनियों ने FY24 में UPI लेनदेन को प्रोसेस करने के लिए सामूहिक रूप से 12,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यही वजह है कि कंपनियों को अब अपने रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए  सुविधा शुल्क (Convenience Fee) का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। 

पेमेंट फेल होने पर Convenience Fee वापस मिलेगा?

यदि आपका बिल पेमेंट ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है तो Convenience Fee बिल पेमेंट अमाउंट के साथ एक निर्दिष्ट समय सीमा के अंदर आपके अकाउंट में वापस आ जाएगा। 

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने 2020 में 2,000 रुपये से कम के यूपीआई लेनदेन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) की छूट को अनिवार्य कर दिया था। हालांकि सरकार ऐसे ट्रांजैक्शन को रीइम्बर्स करती है लेकिन फिर भी इन प्लेटफ़ॉर्मस को रेवेन्यू को जनरेट में संघर्ष करना पड़ता है। 

हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद, यूपीआई में वृद्धि जारी है, जनवरी 2025 में 23.48 लाख करोड़ रुपये के 16.99 बिलियन ट्रांजैक्शन हुए जो साल-दर-साल 39% की ग्रोथ है। 

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