फेसबुक यूजर्स सावधान! आपके फोन गैलरी से फोटो और वीडियो ले रहा है मेटा, 'Allow' करते ही...

शुरू में यह फीचर कोई क्रिएटिव टूल की तरह लगता है लेकिन इस फीचर के जरिए मेटा, यूजर्स की गैलरी की सभी फोटो और वीडियो- चाहे वो कभी शेयर न किए गए हों- अपने क्लाउड सर्वर पर अपलोड कर सकता है।

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By Gaurav Kumar:

Facebook News: अगर आप भी फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा, चुपचाप फेसबुक पर एक विवादास्पद नए फीचर की टेस्टिंग कर रही है जो यूजर्स के फोन के कैमरा रोल को स्कैन करता है, यहां तक ​​कि उन फोटो और वीडियो को भी स्कैन करता है जिन्हें यूजर ने शेयर नहीं किया है, जिससे डेटा प्राइवेसी और ट्रांसपेरेंसी के बारे में नई चिंताएं पैदा हो गई हैं।

TechCrunch की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ फेसबुक यूजर्स को उनके द्वारा स्टोरी अपलोड करने के प्रयास पर उन्हें एक पॉप-अप आता है जो उन्हें 'क्लाउड प्रोसेसिंग' को Allow करने के लिए इनवाइट करता है। यह मेटा को नियमित आधार पर फोन की गैलरी से इमेज को स्वचालित रूप से एक्सेस करने और अपने क्लाउड सर्वर पर अपलोड करने की अनुमति देता है। बदले में, कंपनी जन्मदिन और ग्रेजुएशन जैसे आयोजनों के लिए फोटो कोलाज, थीम्ड रिकैप और AI-जनरेटेड फिल्टर जैसी पर्सनल मटेरियल देने का वादा करती है। 

शुरू में यह फीचर कोई क्रिएटिव टूल की तरह लगता है लेकिन इस फीचर के जरिए मेटा, यूजर्स की गैलरी की सभी फोटो और वीडियो- चाहे वो कभी शेयर न किए गए हों- अपने क्लाउड सर्वर पर अपलोड कर सकता है। 'Allow' पर टैप करते ही Meta को डिवाइस की पूरी फोटो गैलरी स्कैन करने की अनुमति मिल जाती है। कंपनी का AI न केवल इमेज का मेटाडेटा (जैसे लोकेशन और तारीख) पढ़ता है, बल्कि चेहरों और वस्तुओं की पहचान भी कर सकता है।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस फीचर की कोई स्पष्ट घोषणा या विस्तृत ब्लॉग पोस्ट Meta ने जारी नहीं की। केवल एक सामान्य-सी हेल्प पेज पर जानकारी दी गई है, जिससे यूजर्स बिना पूरी समझ के अनुमति दे सकते हैं। एक बार एक्टिवेट होने पर, यह फीचर बैकग्राउंड में काम करता रहता है और पर्सनल मीडिया फाइलें Meta के सर्वर तक पहुंच जाती हैं।

मेटा ने दी सफाई

Meta ने साफ किया है कि यह फीचर ऑप्शनल है और यूजर्स कभी भी इसे बंद कर सकते हैं। यदि कोई यूज़र “Cloud Processing” को डिसेबल करता है, तो Meta 30 दिन के भीतर अनशेयर की गई इमेजेज डिलीट करने का दावा करता है। लेकिन सवाल यही है कि क्या एक बार अपलोड की गई निजी फाइलें वाकई मिटाई जाती हैं?

और भी गंभीर बात यह है कि Meta की AI पॉलिसी (23 जून 2024 से प्रभावी) में यह नहीं बताया गया है कि “Cloud Processing” के तहत जमा की गई अनशेयर तस्वीरें AI ट्रेनिंग से बाहर रहेंगी या नहीं। Meta पहले ही Facebook और Instagram से सार्वजनिक डेटा स्क्रैप करने की बात स्वीकार चुका है, लेकिन “पब्लिक” की परिभाषा आज भी अस्पष्ट है।

भारत जैसे देशों में, जहां मोबाइल फोन में प्राइवेट इमेज के साथ आधार, पैन कार्ड और फैमिली डेटा भी स्टोर रहता है, Meta का यह कदम भारी जोखिम वाला हो सकता है। खासकर तब, जब यह फीचर क्षेत्रीय भाषाओं में स्पष्ट रूप से समझाया ही नहीं गया है।

फिलहाल यह फीचर अमेरिका और कनाडा में टेस्टिंग के चरण में है, लेकिन इसके वैश्विक विस्तार से डिजिटल सहमति, AI की नैतिक सीमाएं और डेटा पारदर्शिता पर नई बहस छिड़ सकती है।

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