भारतीय रुपए के हाल बेहाल क्यों है?

भारतीय रुपये के हाल बेहाल है। भारतीय रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 85 के स्तर पर पहुंच चुका है। ये एक चिंताजनक स्थिति है। साल 2024 में ही रुपये ने डॉलर के मुकाबले 2 फीसदी से भी ज्यादा गिरावट देखी है।

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By Harsh Verma:

भारतीय रुपये के हाल बेहाल है। भारतीय रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 85 के स्तर पर पहुंच चुका है। ये एक चिंताजनक स्थिति है। साल 2024 में ही रुपये ने डॉलर के मुकाबले 2 फीसदी से भी ज्यादा गिरावट देखी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस सप्ताह रुपया 85 के स्तर को भी छू सकता है, जो कि देश पूरी अर्थव्यवस्था पर एक नया दबाव बनाएगा। रुपये में ये गिरावट क्यों आ रही है। इसके क्या नुकसान है। इसका जिम्मेदार कौन है?

पहले बात करते हैं कि रुपये में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आ रही है। दरअसल रुपये की इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह है हमारा बढ़ता व्यापार घाटा। नवंबर में भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड 37.84 अरब डॉलर यानी 3.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो कि अक्टूबर में 27.14 अरब डॉलर था। ये इजाफा पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है। उस दौरान नवंबर में व्यापार घाटा 21.31 अरब डॉलर था। इसके अलावा निर्यात में आई गिरावट और आयात में उछाल ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। नवंबर में निर्यात 4.9 फीसदी कम होकर 32.11 अरब डॉलर पर आ गया, जो 25 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इसके विपरीत, आयात में 27 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है, जो नवंबर में 69.95 उन्हतर अरब डॉलर तक पहुंच गया।

व्यापार घाटे में सबसे बड़ा योगदान सोने का भी है। नवंबर 2024 में सोने का आयात पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी बढ़कर 49.08 उन्चास अरब डॉलर हो गया। ये उछाल सरकार द्वारा सोने पर कस्टम ड्यूटी को 15 फीसदी से कम करके 6 फीसदी करने के बाद देखा गया।  

अब आपको बताते हैं रुपये में गिरावट से क्या बड़े नुकसान हैं। रुपये की गिरावट का मतलब है कि अब हर आयातित सामान के लिए हमें ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे न केवल सरकार का खर्च बढ़ रहा है, बल्कि आयातित वस्तुएं, जैसे कि तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य जरूरी सामान, महंगे हो रहे हैं। महंगाई बढ़ने से आम आदमी की जेब पर असर पड़ रहा है, और इससे पूरी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

कुल मिलाकर रुपये की गिरावट और व्यापार घाटा दो ऐसे मुद्दे हैं जो हमारे देश की आर्थिक स्थिरता को चुनौती दे रहे हैं। इससे निकलने का रास्ता अभी साफ नहीं दिख रहा है। रुपये में लगातार आ रही इस गिरावट और व्यापार घाटे पर आप क्या सोंचते हैं और क्या आपको लगता है कि सरकार इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है?

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। निवेश निर्णय लेने से पहले एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।

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