अचानक Stock Market Crash क्यों हुआ? 1.5 लाख करोड़ का मार्केट कैप साफ

गुरुवार दोपहर को भारतीय शेयर बाजार प्रमुख सूचकांकों में अचानक से गिरावट देखने को मिली। BSE Sensex 1,000 अंक से ज्यादा गिरा, जबकि NSE का प्रमुख सूचकांक Nifty 23,967 के नीचे चला गया।

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By Harsh Verma:

गुरुवार दोपहर को भारतीय शेयर बाजार प्रमुख सूचकांकों में अचानक से गिरावट देखने को मिली। BSE Sensex 1,000 अंक से ज्यादा गिरा, जबकि NSE का प्रमुख सूचकांक Nifty 23,967 के नीचे चला गया। घरेलू सूचकांकों में इस गिरावट के चलते BSE के मार्केट कैप (m-cap) से करीब ₹1.5 लाख करोड़ साफ हो गए।

बाजार में इस गिरावट की वजह है रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध। दरअसल रूस ने यूक्रेन की एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे पर भारी हमला किया। यूक्रेनी ऊर्जा मंत्री जर्मन गालुशचेंको ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, "एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से दुश्मन के बड़े हमले का निशाना बनाया गया है। इस खबर के बाद घरेलू सूचकांकों में IT, बैंक, वित्तीय, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता शेयरों में गिरावट आई। 


₹1.5 लाख करोड़ मार्केट कैप साफ
BSE के बाजार पूंजीकरण (m-cap) के अनुसार, निवेशकों की संपत्ति ₹1.51 लाख करोड़ गिरकर ₹442.96 लाख करोड़ हो गई, जबकि पिछले सत्र में यह ₹444.48 लाख करोड़ थी। प्रमुख शेयर जैसे Infosys, ICICI Bank, Tata Consultancy Services, M&M, Reliance Industries, HDFC Bank, Axis Bank, HCL Technologies, Bharti Airtel और Kotak Mahindra Bank आज के गिरावट में प्रमुख कारण रहे।

19 शेयरों ने 52 वीक लो को छुआ
आज BSE पर कुल 19 शेयरों ने अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर को छुआ। BSE पर Kuantum Papers, Response Informatics, Star Housing Finance, Tejassvi Aaharam और Tree House Education जैसे शेयरों ने अपने संबंधित एक साल के निचले स्तरों को छुआ। हालांकि, 186 शेयरों ने आज अपने एक साल के उच्चतम स्तर को छुआ।


पहले से ही भारतीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इसके अलावा महंगा डॉलर और अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप का इंपोर्ट पर उच्च शुल्क लगाने का दावा निवेशकों के मनोबल पर असर डाल रहा है। Geojit Financial Services के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा है कि मजबूत डॉलर उभरते बाजारों के लिए नकारात्मक है और इसलिए विदेशी निवेशक आक्रामक खरीदार बनने की संभावना नहीं रखते। इसके अलावा बड़ी संस्थाएं ट्रंप की नीतियों पर स्पष्टता पाने के लिए इंतजार करने को प्राथमिकता देंगी और उसके ट्रेड और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करेंगी।


 

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