US Recession: फेड के रेट कट के बाद क्या निफ्टी गिरेगा?

अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर फेडरल रिजर्व के फैसले की ओर देख रही है, जहां 18 सितंबर को ब्याज दरों में कटौती की संभावना पर चर्चा गर्म है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स, ट्रेडर्स के पोल, और वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम अर्थव्यवस्था को मंदी के जोखिम में डाल सकता है, जबकि कुछ इसे आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ाया गया कदम मानते हैं।

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US Recession: फेड के रेट कट के बाद क्या निफ्टी गिरेगा?
US Recession: फेड के रेट कट के बाद क्या निफ्टी गिरेगा?

By Ankur Tyagi:

अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर फेडरल रिजर्व के फैसले की ओर देख रही है, जहां 18 सितंबर को ब्याज दरों में कटौती की संभावना पर चर्चा गर्म है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स, ट्रेडर्स के पोल, और वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम अर्थव्यवस्था को मंदी के जोखिम में डाल सकता है, जबकि कुछ इसे आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ाया गया कदम मानते हैं। इस लेख में, हम इन परस्पर विरोधी दृष्टिकोणों का विश्लेषण करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि फेड के फैसले से अमेरिकी बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स का आकलन

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, रेट कट के प्रस्तावित कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। ब्लूमबर्ग और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसी प्रतिष्ठित मीडिया आउटलेट्स ने इस फैसले को अमेरिकी आर्थिक नीतियों में एक आवश्यक मोड़ के रूप में देखा है, क्योंकि यह कदम संभावित मंदी के खतरे से लड़ने के लिए किया जा रहा है। कई विश्लेषक इस बात पर सहमत हैं कि हाल के महीनों में महंगाई दर में कमी आई है, लेकिन फेडरल रिजर्व इस पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए कदम उठा रहा है।

मीडिया विशेषज्ञों का मानना है 

हालांकि, कुछ मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती से लंबे समय में अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का खतरा पैदा हो सकता है। उनका तर्क है कि रेट कट से कर्ज लेने की लागत में कमी आएगी, जिससे बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा, लेकिन इससे महंगाई फिर से बढ़ सकती है। ऐसे में, अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक स्थिरता पर सवाल उठते हैं।

ट्रेडर्स के पोल की राय

ट्रेडर्स के पोल से यह सामने आया है कि बाजार की उम्मीदें भी बंटी हुई हैं। रायटर्स द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 60% ट्रेडर्स मानते हैं कि फेड इस बार ब्याज दरों में कटौती करेगा, जबकि 40% इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह कदम अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकता है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाने की संभावना है।

कुछ ट्रेडर्स इस कदम को स्टॉक मार्केट के लिए अच्छा मानते हैं, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती से इक्विटी निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। इसके साथ ही, रियल एस्टेट सेक्टर भी इससे फायदा हो सकता है, क्योंकि कम ब्याज दरों पर हाउसिंग लोन लेना आसान होगा। वहीं, कुछ अन्य ट्रेडर्स मानते हैं कि यह केवल एक अस्थायी समाधान होगा और इससे दीर्घकालिक मंदी का जोखिम बना रहेगा।

अमेरिकी बाजार विशेषज्ञों की राय

मंदी के जोखिम पर अमेरिकी बाजार विशेषज्ञों की राय स्पष्ट रूप से विभाजित है। एक तरफ गोल्डमैन सैक्स और जेपी मॉर्गन जैसे निवेश बैंकों के विश्लेषकों का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में सहायक होगी। उनका तर्क है कि उच्च ब्याज दरों से उधारी महंगी हो गई है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में कमी आई है। अगर फेड इस बार कटौती करता है, तो इससे आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

कुछ विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं

दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि रेट कट से बैंकों पर दबाव बढ़ सकता है। फेड द्वारा ब्याज दरों में कमी से बैंकिंग सेक्टर की लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है। बैंकों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ने से उनकी बैलेंस शीट पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे आर्थिक अस्थिरता का खतरा बना रहेगा।

इसके अलावा, बाजार विशेषज्ञ इस बात से भी चिंतित हैं कि रेट कट से उपभोक्ता खर्च में अस्थायी वृद्धि होगी, जिससे महंगाई फिर से बढ़ सकती है। वर्तमान में, फेड ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आक्रामक रूप से दरें बढ़ाई थीं, और अगर कटौती की जाती है, तो इससे महंगाई फिर से अपने पुराने स्तर पर लौट सकती है।

मंदी का जोखिम: तात्कालिक या दीर्घकालिक?

यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या 18 सितंबर को फेड के रेट कट से अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है। अधिकांश आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय अल्पकालिक लाभ प्रदान कर सकता है, लेकिन दीर्घकालिक नीतिगत जोखिम भी हैं।

अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई को फिर से नियंत्रित नहीं कर पाता

अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई को फिर से नियंत्रित नहीं कर पाता है, तो आर्थिक अस्थिरता और संभावित मंदी का खतरा और भी बढ़ सकता है। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की कटौती का मकसद आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, और इस कदम से निवेश, व्यापार और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि की संभावना है।

18 सितंबर को प्रस्तावित फेड के रेट कट का फैसला

18 सितंबर को प्रस्तावित फेड के रेट कट का फैसला अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अमेरिकी मीडिया, ट्रेडर्स और बाजार विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं इस कदम की संभावनाओं को जटिल बनाती हैं। हालांकि, अल्पकालिक राहत के संकेत तो मिल रहे हैं, लेकिन दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता पर सवाल अभी भी बने हुए हैं। 2007 में सितंबर में फेड ने रेट कट किया था। इसके बाद 2008 में मंदी आ गई थी।

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