भारत के 'रतन' की कहानी, जो सदियों तक आएंगे याद

रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप का नेतृत्व संभाला और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके मार्गदर्शन में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए और वैश्विक ब्रांड बन गया। उनकी दूरदर्शी सोच और बेहतरीन नेतृत्व के कारण टाटा ग्रुप आज दुनिया के सबसे बड़े और सफल व्यापारिक समूहों में से एक है।

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Ratan Tata Inspiring Success Story
Ratan Tata Inspiring Success Story

By Ankur Tyagi:

भारत के 'रतन' की कहानी, जो सदियों तक आएंगे याद

टाटा ग्रुप की शुरुआत जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी, जब उन्होंने अपने विजन और मेहनत से भारत में औद्योगिक क्रांति का बीजारोपण किया। जमशेदजी ने टाटा ग्रुप को कपड़ा, स्टील और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थापित किया, जो बाद में टाटा स्टील, टाटा पावर और अन्य प्रमुख कंपनियों में तब्दील हुआ। उनके द्वारा स्थापित स्टील प्लांट और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स भारत के आर्थिक विकास में मील का पत्थर साबित हुए।

जमशेदजी के सपनों को उनके बेटे, सर दोराबजी टाटा, और अन्य उत्तराधिकारियों ने आगे बढ़ाया। टाटा ग्रुप का विकास 20वीं सदी में भी लगातार जारी रहा, जिसमें नई-नई कंपनियों की स्थापना हुई।

रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप का नेतृत्व संभाला और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके मार्गदर्शन में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए और वैश्विक ब्रांड बन गया। उनकी दूरदर्शी सोच और बेहतरीन नेतृत्व के कारण टाटा ग्रुप आज दुनिया के सबसे बड़े और सफल व्यापारिक समूहों में से एक है।

रतन टाटा का योगदान:

रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप की बागडोर संभाली, जब भारतीय अर्थव्यवस्था उदारीकरण की दिशा में कदम रख रही थी। उन्होंने अपने 21 साल के नेतृत्व में टाटा को एक राष्ट्रीय ब्रांड से एक वैश्विक दिग्गज बना दिया। उनके कुछ प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:

अधिग्रहण और विस्तार: रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें 2007 में कोरस और 2008 में जैगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण शामिल है। इन अधिग्रहणों ने टाटा स्टील और टाटा मोटर्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया।

टाटा नैनो: रतन टाटा ने 2008 में दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो लॉन्च की। उन्होंने इसे हर भारतीय परिवार को कार का सपना साकार करने के उद्देश्य से बनाया।

वैश्विक ब्रांड वैल्यू: रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान, टाटा ग्रुप की ब्रांड वैल्यू वैश्विक स्तर पर काफी बढ़ी। उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को दुनिया की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनियों में से एक बनाया।

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): रतन टाटा की दृष्टि केवल मुनाफा कमाने तक सीमित नहीं थी। वे हमेशा समाज के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध रहे। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के जरिए कई सामाजिक और परोपकारी योजनाएं चलाईं।

सरल जीवनशैली और सादगी: रतन टाटा अपनी सादगी और विनम्रता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने निजी जीवन में हमेशा एक साधारण और अनुकरणीय जीवन जिया, जो उनकी परोपकारिता और समाज सेवा के कामों में भी दिखाई देता है।

रतन टाटा की परोपकारिता:

रतन टाटा की परोपकारिता को दुनियाभर में सराहा गया है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने भारतीय छात्रों के लिए कई छात्रवृत्तियों की शुरुआत की, जिससे लाखों छात्रों को फायदा हुआ। इसके अलावा, उन्होंने कैंसर रिसर्च और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर निवेश किया।

उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का "टाटा स्कॉलरशिप फंड" स्थापित किया, जिससे भारतीय छात्रों को शिक्षा में मदद मिल सके। साथ ही, उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में 50 मिलियन डॉलर का योगदान दिया और IIT-बॉम्बे को 95 करोड़ रुपये का दान दिया, जिससे तकनीकी और डिजाइन विकास को बढ़ावा मिल सके।


रतन टाटा का योगदान सिर्फ व्यापारिक दुनिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वे एक सामाजिक नेता और परोपकारी के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने टाटा ग्रुप को एक ऊंचाई पर पहुंचाया और साथ ही देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन और उनके कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।


 

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