सबको पता है सेविंग करना चाहिए, लेकिन हो क्यों नहीं पाता? जानिए कहां हो रही है गलती

बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, सभी ने किसी न किसी मोड़ पर 'बचत' का महत्व सुना या समझा है। फिर भी, जब बात असल जिंदगी में सेविंग की आती है, तो ज्यादातर लोग इसे टालते रहते हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?

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By Gaurav Kumar:

हर कोई जानता है कि पैसे बचाना जरूरी है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, सभी ने किसी न किसी मोड़ पर 'बचत' का महत्व सुना या समझा है। फिर भी, जब बात असल जिंदगी में सेविंग की आती है, तो ज्यादातर लोग इसे टालते रहते हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?

एक बड़ा कारण है वर्तमान की प्राथमिकताएं। जब हाथ में पैसे आते हैं, तो दिमाग तुरंत उन चीजों की ओर दौड़ता है जिन्हें हम अभी खरीद या कर सकते हैं जैसे नया मोबाइल, बाहर खाना, शॉपिंग या छुट्टियों की प्लिंग। भविष्य की अनिश्चितता के मुकाबले आज की जरूरतें या इच्छाएं ज्यादा लॉजिकल लगती है। यही वजह है कि सेविंग को अगली तनख्वाह तक टाल दिया जाता है।

दूसरी वजह है वित्तीय अनुशासन की कमी। बचत के लिए किसी बजट की जरूरत होती है, लेकिन बहुत से लोग अपने खर्चों को ट्रैक ही नहीं करते। बिना हिसाब-किताब के महीने का अंत आते-आते जेब खाली हो जाती है। फिर चाहे इरादा कितना भी अच्छा क्यों न हो, सेविंग एक 'इच्छा' बनकर रह जाती है, 'आदत' नहीं बन पाती।

तीसरा कारण है डिजिटल युग। जी हां यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन सेविंग ना कर पाने के पीछे डिजिटल युग एक बड़ा कारण है। डिजिटल युग में खर्च  करना और भी आसान हो गया है। अब सिर्फ एक क्लिक में खाना ऑर्डर हो जाता है, कपड़े खरीद लिए जाते हैं, और मूवी टिकट बुक हो जाती है। डिजिटल पेमेंट्स ने यह अनुभव इतना आसान बना दिया है कि खर्च करते वक्त “पैसे जा रहे हैं” वाली फीलिंग भी कम हो गई है। 

इसके अलावा, बहुत से लोग सोचते हैं कि जब आमदनी बढ़ेगी, तब बचत शुरू करेंगे। लेकिन सच यह है कि अगर कम आमदनी में सेविंग नहीं हो पा रही, तो ज्यादा आमदनी में भी नहीं होगी। खर्च भी आमदनी के साथ बढ़ जाते हैं। इसलिए सेविंग कोई भविष्य की चीज नहीं, यह आज से शुरू होने वाली प्रक्रिया है।

इसके अलावा अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाए, वाहन खराब हो जाए, या कोई पारिवारिक जिम्मेदारी आ जाए ऐसे में जो थोड़े बहुत पैसे बचते हैं वो भी चले जाते हैं। 

फिर कैसे करें सेविंग?

सेविंग करने के लिए छोटी रकम से शुरू करें जैसे हर महीने ₹500 या ₹1000 बचाना। लेकिन इसे आपको हर महीने करना होगा जिससे सेविंग की आदत आएगी। आगे चलकर आप समय के हिसाब से अपना अमाउंट बढ़ा सकते हैं।

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