भारत में किन शहरों में प्रॉपर्टी नहीं खरीदनी चाहिए?
लविष आनंद ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा की आपके सपनों का घर, आपकी सबसे खराब निवेश साबित हो सकती है- यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस शहर में है।

मुंबई या दिल्ली जैसे शहरों में घर खरीदना भले ही एक बड़ी उपलब्धि लगे, लेकिन गुरुग्राम स्थित रियल एस्टेट सलाहकार लविष आनंद के अनुसार, इसमें मुनाफा कम और घाटा ज्यादा है। एक लिंक्डइन पोस्ट में आनंद ने बताया कि कुछ शहरों में घर खरीदना एक समझदारी भरा निवेश नहीं, बल्कि “स्लो रिस्क” हो सकता है।
लविष आनंद ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा की आपके सपनों का घर, आपकी सबसे खराब निवेश साबित हो सकती है- यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस शहर में है। उन्होंने एक फाइनेंस की एक स्टडी का हवाला देते हुए ईएमआई, स्टांप ड्यूटी, मेंटेनेंस, किराया, डिपॉजिट और अवसर लागत की तुलना की है।
स्टडी के मुताबिक, मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, गुरुग्राम, नोएडा और पुणे जैसे शहरों में खासकर 3 बीएचके (BHK) फ्लैट्स के लिए किराए पर रहना अधिक फायदेमंद है। इन जगहों पर प्रॉपर्टी की कीमतें ऊंची हैं और किराया रिटर्न (रेंटल यील्ड) 2% से भी कम रहता है। ऐसे में मालिकाना हक पाने में 30 साल से भी ज्यादा लग सकते हैं।
आनंद ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या यह निवेश है? नहीं, यह एक स्लो रिस्क है?
इसके उलट, बेंगलुरु, हैदराबाद, ठाणे, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में रियल एस्टेट का समीकरण उल्टा है। यहां रेंटल यील्ड 4% से ऊपर है और संपत्ति की कीमतें तुलनात्मक रूप से किफायती हैं। नतीजतन, 2 बीएचके घरों में निवेश करने वालों को 3 से 8 साल में ही लागत वसूल हो सकती है।
स्टडी का स्पष्ट सुझाव है कि खरीदारी वहीं करें जहां किराया रिटर्न ज्यादा हो और लागत वसूली जल्दी हो। वहीं जहां संपत्ति महंगी हो और किराया कम, वहां किराए पर रहना ही बेहतर है।