क्या कहता है मैक्स लाइफ का सर्वे, रिटायरमेंट के लिए कितने तैयार हैं आप?
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (“Max Life”/ “Company”) ने अपने रिटायरमेंट सर्वे ‘इंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी’* (आइरिस) का चौथा संस्करण जारी कर दिया है। मार्केटिंग डाटा एवं एनालिटिक्स के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी कंपनी कांतार के साथ साझेदारी में यह अध्ययन किया गया है। आइरिस 4.0 में सामने आया कि रिटायरमेंट को लेकर तैयारी के मामले में शहरी भारत के अंक आइरिस 3.0 के 47 से बढ़कर आइरिस 4.0 में 49 पर पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य एवं वित्तीय तैयारी, दोनों के मामले में बढ़ती जागरूकता एवं सक्रियता से उठाए गए कदमों के दम पर यह सुधार हुई है। रिटायरमेंट इंडेक्स में शहरी भारतीय कामकाजी महिलाओं ने 50 अंक हासिल किए, जो पुरुषों से 1 अंक ज्यादा है।

आइरिस के नवीनतम संस्करण में डबल इनकम नो किड्स (डिन्क्स) और गिग वर्कर्स+ के रूप में दो नए सेगमेंट जोड़े गए हैं। 49 अंकों के इंडेक्स स्कोर के साथ डिन्क्स की स्थिति रिटायरमेंट इंडेक्स पर राष्ट्रीय औसत के बराबर ही है, जो इस समूह में स्वास्थ्य एवं वित्तीय जरूरतों को लेकर मजबूत तैयारी दिखाता है। इससे इतर, गिग वर्कर्स का स्कोर मात्र 46 अंक रहा, जो इस वर्ग में रिटायरमेंट को लेकर कमजोर तैयारी का संकेत है।
रिटायरमेंट के बारे में प्लानिंग की शुरुआत जल्दी कर देनी चाहिए
आइरिस 4.0 से मिले निष्कर्षों में सामने आया कि अब शहरी भारतीयों की बड़ी आबादी मानती है कि रिटायरमेंट के बारे में प्लानिंग की शुरुआत जल्दी कर देनी चाहिए। 44 प्रतिशत भारतीयों ने 35 साल से कम उम्र को रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत के लिए सही उम्र माना। आइरिस 3.0 में ऐसा मानने वालों की संख्या 38 प्रतिशत थी। अध्ययन के दौरान 50 साल से ज्यादा उम्र के 93 प्रतिशत लोगों ने इस बात पर दुख जताया कि उन्होंने रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी कर दी। उत्साहजनक रूप से 63 प्रतिशत प्रतिभागियों ने रिटायरमेंट के लिए निवेश की शुरुआत कर दी है। इससे बच्चों का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के साथ-साथ रिटायरमेंट के बाद बुनियादी एवं लक्जरी की जरूरतों को पूरा करने की उनकी चिंता कम हुई है। शहरी भारतीय कामकाजी महिलाओं में उल्लेखनीय रूप से 68 प्रतिशत ने रिटायरमेंट के लिए निवेश करना शुरू कर दिया है। पिछले साल के मुकाबले इसमें 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अध्ययन से भारत में रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर क्षेत्रीय स्तर पर संभावित अवसरों के बारे में भी जानकारी सामने आई। पूर्वी जोन रिटायरमेंट के बाद की पूरी प्लानिंग के मामले में सबसे आगे है। पश्चिमी क्षेत्र में वित्तीय तैयारियों एवं स्वास्थ्य के मामले में प्रगति देखी गई, लेकिन वहां रिटायरमेंट के बाद भावनात्मक पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है। उत्तर एवं दक्षिण में स्वास्थ्य को लेकर तैयारी के मामले में इंडेक्स बेहतर हुआ है।
आइरिस 4.0 के अनुसार,
आइरिस 4.0 के अनुसार, 97 प्रतिशत शहरी भारतीय एक उपयुक्त वित्तीय विकल्प के रूप में जीवन बीमा के बारे में जानते हैं। 67 प्रतिशत ने रिटायरमेंट के बाद एक आदर्श वित्तीय विकल्प के तौर पर जीवन बीमा में निवेश किया हुआ है। 37 प्रतिशत ने स्वास्थ्य बीमा में निवेश किया है। हालांकि 31 प्रतिशत शहरी भारतीय यह नहीं जानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद अपनी मौजूदा लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए उन्हें कितने पैसे की जरूरत होगी। मात्र 27 प्रतिशत शहरी भारतीयों का अनुमान है कि उनकी बचत रिटायरमेंट के बाद 5 से 10 साल तक चलेगी। 30 प्रतिशत इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनका फंड रिटायरमेंट के बाद मात्र 5 साल में खत्म हो जाएगा।
मैक्स लाइफ के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत त्रिपाठी
मैक्स लाइफ के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, ‘भारतीयों के भविष्य के लिए रिटायरमेंट की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्वास्थ्यसेवा के क्षेत्र में उन्नति के दम पर अब लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। अत: अब लोगों के लिए रिटायरमेंट के बाद ज्यादा वर्षों तक की फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी हो गई है। आइरिस 4.0 अध्ययन से सामने आया है कि वैसे तो शहरी भारतीयों का रिटायरमेंट इंडेक्स बढ़ा है, लेकिन अभी भी 3 में से 1 भारतीय रिटायरमेंट के बाद के वर्षों के लिए तैयार नहीं है। भारत में तेजी से बढ़ती गिग इकोनॉमी को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार गिग वर्कर्स को भी अध्ययन में शामिल किया। हमने पाया कि रिटायरमेंट को लेकर कमजोर तैयारियों के साथ हमारे गिग वर्कर्स इंडेक्स में पीछे हैं। यह दिखाता है कि फोकस के साथ पहल की जाए तो इस वर्ग को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं।’