'फूटी कौड़ी नहीं दूंगा...' मुहावरा तो सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है कि पहले कितना था कौड़ी का महत्व?

प्राचीन भारत और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में, सिक्कों के चलन से पहले कौड़ियों का उपयोग मुद्रा (currency) के रूप में किया जाता था। इसका महत्व कई मायनों में था।

Advertisement

By Gaurav Kumar:

"फूटी कौड़ी नहीं दूंगा" मुहावरा आज भले ही किसी चीज को बिल्कुल भी न देने या उसका कोई मूल्य न होने के संदर्भ में इस्तेमाल होता है, लेकिन प्राचीन समय में कौड़ी (समुद्री सीप) का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान था, खासकर मुद्रा के रूप में।

प्राचीन काल में कौड़ी का महत्व

प्राचीन भारत और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में, सिक्कों के चलन से पहले कौड़ियों का उपयोग मुद्रा (currency) के रूप में किया जाता था। इसका महत्व कई मायनों में था:

विनिमय का माध्यम: कौड़ियां वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए एक सामान्य माध्यम थीं। यह आज के रुपये-पैसे की तरह ही छोटी से बड़ी चीजों की खरीद-बिक्री के लिए इस्तेमाल होती थीं।

सबसे छोटी इकाई: कौड़ी उस समय की मुद्रा प्रणाली में सबसे छोटी इकाई थी। इसी से आगे की बड़ी मुद्रा इकाइयां बनती थीं।

मुद्रा प्रणाली

  • 3 फूटी कौड़ी = 1 कौड़ी (फूटी कौड़ी सबसे कम मूल्यवान थी, इसलिए जब कोई कहता है "फूटी कौड़ी नहीं दूंगा", तो इसका मतलब है कि वह सबसे कम से कम भी कुछ नहीं देगा)।
     
  • 10 कौड़ी = 1 दमड़ी
     
  • 2 दमड़ी = 1 धेला
     
  • 1 धेला = 1.5 पाई
     
  • 3 पाई = 1 पैसा (पुराना)
     
  • 4 पैसा = 1 आना
     
  • 16 आना = 1 रुपया

इस तरह से एक रुपया लगभग 25,600 कौड़ियों के बराबर होता था (यह संख्या अलग-अलग समय और स्थानों पर थोड़ी भिन्न हो सकती है)। एक गाय खरीदने के लिए पच्चीस हजार कौड़ियों की ज़रूरत पड़ती थी, जिससे पता चलता है कि कौड़ी की क्रय शक्ति काफी कम थी।

धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

कौड़ी को हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे शुभ माना जाता है और पूजा-पाठ में भी इसका इस्तेमाल होता है। पीली कौड़ी को विशेष रूप से धन और समृद्धि को आकर्षित करने वाला माना जाता है।

आभूषण और सजावट

कौड़ियों का उपयोग आभूषण बनाने और सजावटी वस्तुओं में भी किया जाता था। समय के साथ सिक्कों और कागजी मुद्रा के चलन ने कौड़ियों की जगह ले ली, लेकिन "फूटी कौड़ी नहीं दूंगा" जैसे मुहावरे आज भी हमें उनके ऐतिहासिक महत्व की याद दिलाते हैं।

Read more!
Advertisement