हेल्थ इंश्योरेंस तो है लेकिन बिना 24 घंटे अस्पताल में भर्ती हुए क्लेम नहीं मिलता? अपनाएं ये तरीका
सबसे अधिक परेशानी वरिष्ठ नागरिकों को आती है क्योंकि उन्हें आमतौर पर डायबिटीज, हाई बीपी, गठिया जैसी समस्या होती है। इनके लिए उन्हें नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।

OPD Cover in Health Insurance: अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का क्लेम सिर्फ तभी मिलता है जब बीमाधारक 24 घंटे या उससे अधिक समय तक भर्ती रहता है। नतीजतन, वैध बीमा वाले कई वरिष्ठ नागरिक अभी भी OPD खर्चों के लिए सालाना हजारों रुपये अपनी जेब से चुकाते हैं।
सबसे अधिक परेशानी वरिष्ठ नागरिकों को आती है क्योंकि उन्हें आमतौर पर डायबिटीज, हाई बीपी, गठिया जैसी समस्या होती है। इनके लिए उन्हें नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना पड़ता है, डायग्नोस्टिक टेस्ट और फॉलो अप की जरूरत होती है सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है तो इस स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस का पूरा लाभ नहीं मिलता और खुद के पैसे लगाने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में क्या करें?
OPD कवर अच्छा विक्लप
लिवलॉन्ग 365 के संस्थापक और सीईओ गौरव दुबे ने सलाह दिया है कि वरिष्ठ नागरिकों को आमतौर पर डायबिटीज, हाई बीपी, गठिया, श्वसन संबंधी समस्याएं और हृदय संबंधी स्थितियों जैसी कई स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
ये पुरानी और लॉन्ग टर्म स्थितियां हैं जिनके लिए रेगुलर कंसल्टेशन, दवाएं और डायग्नोस्टिक टेस्ट की जरूरत होती है। इन स्थिति में OPD (आउटपेशेंट डिपार्टमेंट) केयर एक अच्छा विकल्प बन सकता है।
उदाहरण के लिए, डायबिटीज से पीड़ित किसी वरिष्ठ नागरिक को हर महीने एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के पास जाने, तिमाही HbA1c टेस्ट, आंखों की जांच और पोषण संबंधी कंसल्टेशन की जरूरत हो सकती है। इनमें से हर सर्विस OPD केयर के अंदर आती है। अगर ओपीडी ट्रीटमेंट कवर नहीं होता है तो लागत काफी बढ़ सकती हैं।
OPD कवर को जोड़ने के लिए आप अपने बीमा कंपनी से बोल सकते हैं और अपने बीमा में इसे एड ऑन करवा सकते हैं।
बढ़ता मेडिकल खर्च
भारत में मेडिकल खर्च तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती मांग, शहरी स्वास्थ्य सेवा लागत और टेक संचालित निदान के कारण OPD केयर का खर्च तेजी से बढ़ रहा है।
जिन बुज़ुर्ग व्यक्तियों को लगातार चिकित्सा की ज़रूरत होती है, उनके लिए लागतें - जैसे कि डॉक्टर के पास जाना, लैब टेस्ट, स्कैन और फिजियोथेरेपी - आर्थिक रूप से बहुत ज़्यादा खर्चीला हो सकता है। कई परिवारों में, इससे देखभाल में देरी होती है, टेस्ट नहीं करवाए जाते हैं या अयोग्य लोकल क्लीनिकों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे मरीज़ की हालत और भी खराब हो सकती है।
पारंपरिक हेल्थ इंश्योरेंस पर्याप्त क्यों नहीं?
भारत में पारंपरिक हेल्थ इंश्योरेंस मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती होने पर केंद्रित है। अधिकांश पॉलिसियां केवल तभी क्लेम देती है जब बीमाधारक 24 घंटे या उससे अधिक समय तक भर्ती रहता है। नतीजतन, वैध बीमा वाले कई वरिष्ठ नागरिक अभी भी OPD खर्चों के लिए सालाना हज़ारों रुपये अपनी जेब से चुकाते हैं।
इसके अलावा, वृद्धों को अचानक दुर्घटनाओं का सामना करने की संभावना कम होती है लेकिन उनके लॉन्ग टर्म बीमारियों से जूझने की अधिक संभावना होती है।
इस अंतर को पहचानते हुए, भारत में कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने अब ओपीडी-कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस देना शुरू किया है जो डॉक्टर कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट, फार्मेसी बिल और यहां तक कि दंत और आंखों की जांच को भी कवर करती हैं। ये बीमा वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से सहायक हैं क्योंकि वे वित्तीय तनाव को कम करती हैं।
ओपीडी कवर के साथ, एक वरिष्ठ नागरिक अपने नियमित डॉक्टर से मिल सकता है, नियमित बीपी चेक करवा सकता है, और खर्चों की चिंता किए बिना अपना इलाज करवा सकता है।
पूरी बात का बात का लब्बोलुआब यह है कि OPD केयर बुढ़ापे की जरूरत है। वरिष्ठ नागरिकों के पास डॉक्टर के पास जाने, डायग्नोस्टिक टेस्ट और फॉलो अप लेने की स्वतंत्र होनी चाहिए।