No-Cost EMI नहीं होता है फायदेमंद, बैंक छूपके से वसूलते हैं ये चार्ज

No-Cost EMI सुनने में जितना अच्छा लगता है उतना होता नहीं है। इसमें बैंक द्वारा कई तरीके के चार्ज लगते हैं जिसकी जानकारी ग्राहकों को नहीं होती है। हम आपको इन सभी चार्ज के बारे में बताने जा रहे हैं।

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No-Cost EMI

By Priyanka Kumari:

आजकल भारत में क्रेडिट कार्ड पर नो-कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इस सर्विस के जरिए ग्राहक महंगे प्रोडक्ट खरीद सकते हैं और बिना एक्स्ट्रा इंटरेस्ट दिए आसान मासिक किस्तों (EMI) में पेमेंट कर सकते हैं। यह पेमेंट का एक सुविधाजनक तरीका माना जाता है, लेकिन कई यूजर्स को इसके छिपे हुए चार्ज के बारे में जानकारी नहीं होती। अक्सर लोगों को लगता है कि वे बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के ईएमआई पेमेंट कर रहे हैं, जबकि हकीकत इससे अलग होती है। 

आइए हम आपको समझते हैं कि नो-कॉस्ट ईएमआई वास्तव में कैसे काम करती है और इसमें किन शर्तों का ध्यान रखना जरूरी है।

क्या है नो-कॉस्ट ईएमआई? (What is No-Cost EMI?)

नो-कॉस्ट ईएमआई एक ऐसी सर्विस है, जिसमें किसी प्रोडक्ट की कीमत को मासिक किस्तों में बांटा जाता है और इसके लिए एक्स्ट्रा इंटरेस्ट नहीं देना पड़ता। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यूजर्स को एकमुश्त बड़ी रकम खर्च नहीं करनी पड़ती। फ्लिपकार्ट (Flipkart), अमेजन (Aamzon), और अन्य ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म इस सुविधा को HDFC बैंक, SBI, ICICI बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर कस्टम को देते हैं।

कैसे काम करता है नो-कॉस्ट ईएमआई? (How No Cost EMI works)
 
इसका नाम "नो-कॉस्ट" है, लेकिन वास्तव में इसमें कुछ छिपे हुए चार्ज हो सकते हैं। बैंक या फाइनेंस कंपनियां नो-कॉस्ट ईएमआई में ब्याज को छूट के रूप में एडजस्ट कर देती हैं। यानी, अगर कोई प्रोडक्ट ₹30,000 का है और 12 महीने की ईएमआई पर लिया गया है, तो बैंक ब्याज की रकम पहले से ही कीमत में जोड़ सकता है।

छिपे होते हैं ये चार्ज (No Cost EMI Hidden Charge)

कई बार कंपनियां प्रोडक्ट की कीमत पहले से ही अधिक रखती हैं ताकि ब्याज या एक्स्ट्रा चार्ज का बोझ ग्राहक को न दिखे। कुछ बैंक 1% से 3% तक प्रोसेसिंग चार्ज वसूलती हैं, जिससे ग्राहक को ज्यादा पेमेंट करना पड़ सकता है।

क्या कहता है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नो-कॉस्ट ईएमआई स्कीम को लेकर चेतावनी जारी की है। RBI का कहना है कि इस तरह की प्लानिंग पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकती हैं। कंपनियां ब्याज या चार्ज को छुपाकर ग्राहकों को भ्रमित कर सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी फाइनेंस प्लानिंग का लाभ उठाने से पहले सभी नियम व शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

क्या करें ग्राहक?

किसी भी ईएमआई को अपनाने से पहले प्रोडक्ट की रियल प्राइस और ब्याज दर की तुलना करें। बैंक द्वारा ली जाने वाली प्रोसेसिंग फीस या अन्य शुल्क की जानकारी जरूर लें। अगर छूट और नो-कॉस्ट ईएमआई दोनों का ऑप्शन मिले, तो समझदारी से सही ऑप्शन चुनें। हमेशा RBI के दिशानिर्देशों और फाइनेंस कंपनियों की शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

नो-कॉस्ट ईएमआई सही समझ के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो फायदेमंद हो सकती है। लेकिन अगर ग्राहक इसके छिपे हुए चार्ज और शर्तों को नहीं समझते, तो यह एक महंगी डील साबित हो सकती है। 

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