Motor Insurance: कार खरीद रहे हैं? इंश्योरेंस में ये गलतियां न करें, वरना होगा बड़ा नुकसान

Motor Insurance Tips: अगर आप मोटर इंश्योरेंस लेने वाले हैं तो हम आपको कुछ गलतियों के बारे में बताएंगे, जो अक्सर लोग कर देते हैं।

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By Priyanka Kumari:

भारत में कारों की डिमांड लगातार बढ़ रही है। FY25 में पैसेंजर व्हीकल्स की घरेलू बिक्री 4.30 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई, जो पिछले साल के 4.22 मिलियन से ज्यादा है। जैसे-जैसे लोग ज्यादा गाड़ियां खरीद रहे हैं, वैसे-वैसे मोटर इंश्योरेंस का मार्केट भी तेजी से बढ़ रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का मोटर इंश्योरेंस मार्केट 2024 में 11 से 30 बिलियन डॉलर के बीच है और 2034 तक यह 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा का हो सकता है। इसमें हर साल करीब 7% से 10% तक की ग्रोथ की उम्मीद है। सिर्फ FY24 में ही मोटर इंश्योरेंस ने 13% की बढ़त दर्ज की थी और अभी भी 9% की रफ्तार से बढ़ रहा है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पहली बार कार इंश्योरेंस खरीदने वाले लोग अक्सर बिना सोचे-समझे सिर्फ बेसिक थर्ड पार्टी पॉलिसी ले लेते हैं। वे न तो बाकी पॉलिसियों की तुलना करते हैं और न ही कवरेज का सही अंदाजा लगाते हैं। कई लोग सही डिटेल्स नहीं भरते या पॉलिसी की शर्तें ठीक से पढ़ते ही नहीं। ऐसे में क्लेम रिजेक्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।

सही तरीके से तय करें गाड़ी की वैल्यू

इंश्योरेंस खरीदते समय सबसे जरूरी फैसला होता है गाड़ी का IDV (Insured Declared Value) तय करना। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि IDV गाड़ी की मौजूदा मार्केट वैल्यू पर तय करें, न कि उसकी खरीद कीमत पर। इसके साथ ही सिर्फ थर्ड पार्टी कवर लेने के बजाय कॉम्प्रिहेंसिव कवर चुनना बेहतर रहता है।

ऐड-ऑन कवर का सही सेलेक्शन

अक्सर लोग ऐड-ऑन कवर लेते समय कंफ्यूज हो जाते हैं। ज़ीरो डेप्रिसिएशन, इंजन प्रोटेक्शन और रोडसाइड असिस्टेंस जैसे ऐड-ऑन बेहद काम के साबित होते हैं क्योंकि ये एक्स्ट्रा खर्च और इमरजेंसी में मदद करते हैं।

वहीं, कुछ ऐड-ऑन जैसे डेली अलाउंस, एक्सेसिव कंज़्यूमेबल्स या टायर प्रोटेक्शन (जब तक सड़कें बेहद खराब न हों) ज्यादातर बेकार साबित होते हैं। इन्हें लेने से पैसा तो खर्च होता है, लेकिन फायदा शायद ही कभी मिलता है।

कम प्रीमियम के लिए अपनाएं ये तरीके

अगर आप चाहते हैं कि प्रीमियम कम पड़े, तो पॉलिसी ऑनलाइन कम्पेयर करें और सिर्फ वही ऐड-ऑन लें जिनकी सच में जरूरत है। नो क्लेम बोनस (NCB) का फायदा उठाएं और जरूरत पड़ने पर वॉलंटरी डिडक्टिबल चुनें। इससे इंश्योरेंस की लागत काफी कम हो जाती है।

पॉलिसी की शर्तें जरूर पढ़ें

कई लोग पॉलिसी साइन करने से पहले उसकी शर्तें पढ़ना छोड़ देते हैं, जो आगे चलकर बड़ी परेशानी बन सकता है। क्लेम लिमिट, एक्सक्लूजन, डिडक्टिबल्स, ऐड-ऑन की शर्तें और रिन्यूअल रूल्स अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। वरना हो सकता है कि क्लेम के वक्त आपको पूरी उम्मीद के मुताबिक पैसा न मिले।

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