Health Insurance गेम चेंजर: कैसे युवा प्रोफेशनल्स बना रहे हैं बड़ा फर्क?

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाने जाने वाले की भारत की आबादी 1.4 बिलियन से ज्यादा है। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए वैश्विक स्तर पर यह एक बहुत बड़ा बाजार है। भारत में, हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को ऑप्शन माना जाता है।

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A large number of people are still hesitant when it comes to buying a health insurance policy
A large number of people are still hesitant when it comes to buying a health insurance policy

By BT बाज़ार डेस्क:

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाने जाने वाले की भारत की आबादी 1.4 बिलियन से ज्यादा है। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए वैश्विक स्तर पर यह एक बहुत बड़ा बाजार है। भारत में, हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) को ऑप्शन माना जाता है। हेल्थ सर्विस सिस्टम में सार्वजनिक और निजी दो क्षेत्र हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी सुविधाओं पर ही निःशुल्क हेल्थ सर्विस उपलब्ध हैं। इंडस्ट्री के अनुमान कहते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट की पहुंच काफी कम है और लगभग 40 मिलियन लोगों के पास कोई हेल्थ कवर नहीं है। जागरूकता की कमी, किफायती न होना और सीमित पहुंच हेल्थ इंश्योरेंस ज्यादा लोगों के पास न होने के कुछ प्रमुख कारण हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस के सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां

वर्तमान बाजार में हेल्थ इंश्योरेंस के जागरूकता के बारे में कमी एक मुख्य समस्या है। इसकी वजह से कई लोग इसकी तत्काल आवश्यकता के बारे में अनिश्चित हैं। इसके अलावा, भारत में गुणवत्तापूर्ण हेल्थ सर्विस सिस्टम के खर्चें कई गुना बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से कई ग्राहक मानते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम किफायती नहीं है। 

Tata AIG जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के स्वास्थ्य उत्पाद और प्रक्रिया विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. संतोष पुरी के अनुसार  रिटेल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम अक्सर बहुत ज्यादा होते हैं। यह कई युवाओं के लिए एक वित्तीय चुनौती बन जाती है। ये लोग अपनी फाइनेंशियल कैपेबिलिटी और आवश्यकताओं के अनुरूप हेल्थ इंश्योरेंस समाधान चाहते हैं। उन्हें ऐसी पॉलिसियां चाहिए जो हॉस्पिटलाइजेशन के बुनियादी कवरेज से परे मूल्य प्रदान करती हों, जिसमें ओपीडी सेवाएं, पुरानी बीमारी का मैनेजमेंट और यहां तक कि वेलनेस पैकेज जैसे लाभ शामिल हों।

ज्यादा है हेल्थ सर्विस की लागत

भारत का स्वास्थ्य बीमा बाजार विकसित हो रहा है, जिसमें युवा पेशेवरों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रमुख रुझान आ रहे हैं। महानगरों की तुलना में  3 और 4 टियर शहरों में अलग-अलग रुझान हैं। 3 और 4 टियर शहरों में, जहां हेल्थ सर्विस की लागत अपेक्षाकृत कम है, अधिकांश ग्राहक बुनियादी कवरेज का विकल्प चुनते हैं जो उनकी तत्काल स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करता है। 

जबकि 1 और 2 टियर के शहरों में जहां स्वास्थ्य सेवा की लागत काफी ज़्यादा है, बीमाकर्ता उच्च बीमा राशि वाली पॉलिसियों ले रहे हैं। बीमा राशि का अनलिमिटेड रिस्टोरेशन और गारंटीड बोनस जैसी सुविधाएं देने वाली योजनाएं ली जा रही हैं। यह बात अधिक लचीले और व्यापक कवरेज विकल्पों की ओर झुकाव को दर्शाती है। 

महानगरों में हेल्थ सर्विस के बढ़ते खर्चें और Diabities, High BP और Heart रिलेटिड बिमारी जैसी लाइफस्टाइन रिलेटिड बीमारियां बढ़ रही हैं, जिसकी वजह से ग्राहक मौजूद बिमारियों (पीईडी) के लिए प्रतीक्षा अवधि कम करने की मांग कर रहे हैं।

कई बीमा कंपनियां अब OPD कवरेज दे रही हैं। योजना में दी जाने वाली OPD सुविधा के अलावा, ग्राहक बीमा कंपनी पर शून्य निर्भरता के साथ सुविधाजनक अनुभव चाहते हैं। इन OPD लाभों में अक्सर कन्सल्टेशन, क्लिनिकल  ​​परीक्षण, दांतों, आँखों पर इलाज, या टेलीकंसल्टेशन के लिए कवरेज शामिल होता है। इसके अतिरिक्त, यह ग्राहक कैटेगिरी वेलनेस पैकेज को महत्व देता है।

ऐसा होना चाहिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी

बाजार में मौजूदा योजनाओं और मिलेनियल्स और GenZ की अपेक्षाओं के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। उदाहरण के तौर पर, भारत में हर छह में से एक कपल इन्फर्टिलिटी से पीड़ित है, और इन्फर्टिलिटी के उपचार का खर्च काफी ज्यादा है, लेकिन बहुत कम बीमा कंपनियां  इन्फर्टिलिटी कवरेज प्रदान करती हैं। इसके अलावा, कई कंपनियां खेल में आने वाली चोटों के लिए कवर को शामिल नहीं करती हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि 30 वर्ष से कम आयु के लोग अक्सर खेल और जिम वर्कआउट में शामिल होते हैं। इन लोगों को ऐसे हेल्थ इंश्योरेंस की तलाश होती है जो जिम या खेल से जुड़ी चोटों को कवर करता हो। 

डॉ. संतोष पुरी के मुताबिक मिलेनियल्स और GenZ डिजिटल पहुंच के साथ अनुकूलित हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट की तलाश कर रहे हैं। वे ऐसे पॉलिसी चाहते हैं जो उनकी जीवनशैली विकल्पों जैसे कि खेल में लगने वाली चोटों, इन्फर्टिलिटी पर उपचार और वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए कवरेज देते हों। 

हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट लगातार विकसित हो रहा है, इसलिए योजनाओं के किफायतीपन और कवरेज के बीच के अंतर को पाटना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बीमा कंपनियों को भारत के युवा पेशेवरों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए अपनी पेशकशों में नवाचार और बदलाव करने चाहिए। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, भारत 2025 के अंत तक जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत के हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री को इतनी बड़ी आबादी होने का लाभ उठाने के लिए ‘युवा’ भारत की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है।
 

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