मिल सकती है खुशखबरी! बीमा प्रीमियम पर GST हटाने की तैयारी- सस्ती हो सकती है लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस - Details
वर्तमान में किसी भी नई पॉलिसी पर या रिन्यूअल के समय प्रीमियम पर 18% GST लगता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सालाना प्रीमियम ₹20,000 है तो उस पर ₹3,600 टैक्स जुड़कर कुल भुगतान ₹23,600 हो जाता है।

GST on Insurance Premium: भारत में लाखों परिवारों के लिए लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस जल्द ही किफायती हो सकते हैं। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से बीमा प्रीमियम को पूरी तरह छूट देने का प्रस्ताव तैयार है, जिस पर अगले महीने GST काउंसिल की बैठक में चर्चा होगी।
अभी कितना टैक्स देना पड़ता है?
वर्तमान में किसी भी नई पॉलिसी पर या रिन्यूअल के समय प्रीमियम पर 18% GST लगता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सालाना प्रीमियम ₹20,000 है तो उस पर ₹3,600 टैक्स जुड़कर कुल भुगतान ₹23,600 हो जाता है। यह बोझ इंडिविजुअल और फैमिली फ्लोटर दोनों तरह की पॉलिसियों पर समान रूप से पड़ता है।
नए प्रस्ताव में क्या है खास?
प्रस्ताव के अनुसार बीमा प्रीमियम से GST पूरी तरह हटा दिया जाएगा। यानी ग्राहक केवल बेस प्रीमियम चुकाएंगे। इंडस्ट्री अनुमानों के मुताबिक इससे बीमा की लागत करीब 15% तक घट सकती है। यह कदम बीमा कवरेज को देशभर में बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के मकसद से उठाया गया है।
क्या सचमुच सस्ते होंगे प्रीमियम?
एक्सपर्ट का कहना है कि यह इतना भी आसान नहीं है। अभी बीमा कंपनियां बैकएंड खर्चों (टेक्नोलॉजी, सर्विस, डिस्ट्रीब्यूशन) पर चुकाए गए GST पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करती हैं। यदि प्रीमियम पर GST हटा दिया गया, तो ITC का फायदा खत्म हो जाएगा और कंपनियां अपनी लागत ग्राहकों पर डाल सकती हैं।
यही कारण है कि कुछ विश्लेषक इसे ‘Exempt’ के बजाय ‘जीरो-रेटेड’ करने की वकालत कर रहे हैं, ताकि कंज्यूमर को टैक्स न देना पड़े और कंपनियां ITC भी ले सकें।
राज्यों की दुविधा
FY24 में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर GST से ₹8,262 करोड़ और हेल्थ री-इंश्योरेंस से करीब ₹1,500 करोड़ की कमाई हुई थी। अगर यह टैक्स हटा दिया गया, तो राज्यों को करीब ₹10,000 करोड़ का राजस्व नुकसान होगा।
आगे क्या?
यह प्रस्ताव सितंबर 2025 की मध्य में होने वाली GST काउंसिल बैठक में रखा जाएगा। यदि मंजूरी मिलती है, तो नए नियम दिवाली तक लागू हो सकते हैं।
पॉलिसीधारकों को क्या करना चाहिए?
अगर आप जल्द ही पॉलिसी खरीदने या रिन्यू करने की सोच रहे हैं, तो थोड़ा इंतजार करना समझदारी हो सकती है। सही तरीके से लागू होने पर यह सुधार भारत में बीमा को पहले से कहीं अधिक सुलभ बना सकता है। लेकिन असली लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि बीमा कंपनियां कीमतों को कितना पारदर्शी रखती हैं और सरकार कितनी सख्ती से निगरानी करती है।