Real Estate vs. Gold: किसमें निवेश करना स्मार्ट ऑप्शन, ज्यादा मुनाफे के लिए कहां लगाएं पैसा?

Real Estate vs. Gold: अगर आप अपने पैसों को सुरक्षित और बढ़ाने का तरीका ढूंढ रहे हैं, तो सोना और रियल एस्टेट दोनों ही अच्छे विकल्प माने जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि कौन-सा निवेश ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है?

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By Priyanka Kumari:

भारतीयों के लिए सोना हमेशा से पसंदीदा रहा है, खासकर त्योहारों और शुभ अवसरों पर। यह महंगाई से बचाने का एक पारंपरिक तरीका भी माना जाता है। दूसरी तरफ, रियल एस्टेट न सिर्फ एक ठोस संपत्ति है, बल्कि इससे किराये और संपत्ति की बढ़ती कीमतों के जरिए नियमित कमाई भी होती है।

आज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, निवेशक यह जानना चाहते हैं कि किसमें पैसा लगाना ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद रहेगा। क्या सोना अब भी सबसे भरोसेमंद विकल्प है, या फिर तेजी से बढ़ता रियल एस्टेट सेक्टर ज्यादा बेहतर रिटर्न देने वाला है? आइए जानते हैं दोनों विकल्पों के फायदे और निवेश से जुड़ी अहम बातें।

कौन बेहतर – सोना या रियल एस्टेट?

आर्थिक हालात बदलने, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और बाजार की स्थिति का असर सोना और रियल एस्टेट दोनों पर पड़ता है। जब आर्थिक स्थिति अनिश्चित होती है, तो सोने की कीमत बढ़ने लगती है, जबकि रियल एस्टेट को शहरों के विकास, बुनियादी ढांचे और बढ़ती मांग से फायदा मिलता है। निवेश का फैसला निवेशक के लक्ष्य, जोखिम उठाने की क्षमता और मिलने वाले मुनाफे पर निर्भर करता है।

भारतीयों की पहली पसंद सोना, लेकिन रियल एस्टेट ज्यादा फायदेमंद

त्योहारों या शुभ अवसरों पर सोना खरीदना भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। इसे पीढ़ी दर पीढ़ी संपत्ति बनाए रखने और बढ़ाने का जरिया माना जाता है। महंगाई बढ़ने पर इसकी कीमतें भी बढ़ती हैं, जिससे यह एक सुरक्षित निवेश बनता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी तरलता (Liquidity) है – इसे दुनिया भर में आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है। हालांकि, इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी काफी होता है।

इसके मुकाबले, रियल एस्टेट ज्यादा स्थिर और भरोसेमंद निवेश है। यह बाजार की भावनाओं (Market Sentiment) पर कम निर्भर करता है और किराए के साथ-साथ संपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी से लगातार मुनाफा देता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, पिछले दो दशकों में रियल एस्टेट में सालाना औसतन 8-10% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो महंगाई दर से अधिक रही है। वहीं, सोने की कीमतें वैश्विक आर्थिक हालात पर निर्भर करती हैं और अधिक अस्थिर होती हैं।

विशेषज्ञों की राय, रियल एस्टेट ज्यादा फायदेमंद

क्रेडाई एनसीआर के जनरल सेक्रेटरी, गौरव गुप्ता का कहना है रियल एस्टेट ने हमेशा संपत्ति बढ़ाने में सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है, खासकर प्रमुख और विकसित होते शहरी क्षेत्रों में। बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास, लग्जरी हाउसिंग की बढ़ती मांग और कमर्शियल रियल एस्टेट में उछाल से इस सेक्टर में बेहतरीन रिटर्न मिल रहे हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेट में लंबी अवधि में किराए और मूल्य वृद्धि का फायदा भी मिलता है। आज के निवेशक इसे केवल संपत्ति नहीं, बल्कि एक बिजनेस अवसर के रूप में देख रहे हैं।

रहेजा डेवलपर्स के चेयरमैन और एमडी, नवीन रहेजा का मानना है कि सोना महंगाई से बचाव का जरिया हो सकता है, लेकिन रियल एस्टेट सबसे भरोसेमंद लॉन्ग-टर्म निवेश विकल्प है। बढ़ते शहरीकरण और प्रीमियम रेजिडेंशियल और कमर्शियल परियोजनाओं की मांग के चलते सही लोकेशन पर निवेश से शानदार रिटर्न मिलते हैं। सोने से किराये की आमदनी नहीं होती, जबकि रियल एस्टेट में लगातार कैश फ्लो बना रहता है।

रियल एस्टेट क्यों बेहतर निवेश विकल्प है?

रियल एस्टेट को लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अधिक स्थिर माना जाता है। मेट्रो, हाईवे, और व्यावसायिक हब जैसे बुनियादी ढांचे के विकास से इसकी कीमतों में लगातार वृद्धि होती है। सरकार की रेरा जैसी योजनाओं ने पारदर्शिता बढ़ाई है, जबकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और होम लोन पर टैक्स छूट ने इसे और आकर्षक बना दिया है।

क्रीवा और कनोडिया ग्रुप के फाउंडर, डॉ. गौतम कनोडिया कहते हैं कि तेजी से विकसित हो रहे शहरों, जैसे नोएडा और गुरुग्राम, में संपत्ति निवेश के बेहतरीन अवसर हैं। सरकार की नई नीतियों और कमर्शियल विस्तार से रियल एस्टेट मजबूत निवेश विकल्प बना हुआ है।

सोना और रियल एस्टेट दोनों फायदेमंद हैं, लेकिन लंबे समय में संपत्ति बनाने के लिए रियल एस्टेट बेहतर माना जाता है। सोना आसानी से बेचा जा सकता है, जबकि रियल एस्टेट की कीमत बढ़ने के साथ-साथ किराए से भी कमाई होती है। अगर सही जगह और योजना के साथ निवेश किया जाए, तो रियल एस्टेट सोने से ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है।

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