अस्थिर बाजार में बढ़ा मल्टी-एसेट फंड्स का क्रेज, सोना-चांदी और इक्विटी बने निवेशकों की पसंद

एक्सपर्ट मानते हैं कि कोई भी निवेश हर साल हमेशा शानदार रिटर्न नहीं देता। ऐसे में अब इक्विटी, डेट और कमोडिटी में पैसा बांटना यानी डाइवर्सिफिकेशन जरूरी हो गया है।

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By Gaurav Kumar:

Multi Asset Fund: ग्लोबल आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों का रुझान सुरक्षित और डायवर्सिफाइड ऑप्शन की ओर बढ़ रहा है। बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में बदलाव और देशों के बीच व्यापारिक तनाव के कारण सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं की मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

इस माहौल में महंगाई की चिंता, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और सुरक्षित निवेश की तलाश ने सोने की कीमतों को चमका दिया है। लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि कोई भी निवेश हर साल हमेशा शानदार रिटर्न नहीं देता। ऐसे में अब इक्विटी, डेट और कमोडिटी में पैसा बांटना यानी डाइवर्सिफिकेशन जरूरी हो गया है।

मल्टी-एसेट फंड क्यों हैं जरूरी?

मल्टी-एसेट फंड इसलिए जरूरी हो गए हैं क्योंकि ये निवेशकों को अलग-अलग जगह पैसा लगाने का आसान और संतुलित तरीका देते हैं। जहां इक्विटी में बढ़ने की ज्यादा संभावना होती है, वहीं डेट निवेश से स्थिरता मिलती है और सोना-चांदी जैसी कीमती धातुएं जोखिम कम करने में मदद करती हैं।

इन तीनों को अलग-अलग चुनने की बजाय, मल्टी-एसेट फंड एक ही जगह पर इन सभी में संतुलित निवेश करते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम होता है और रिटर्न बेहतर होता है। खासकर आज के अस्थिर और अनिश्चित माहौल में, ऐसे फंड्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है क्योंकि ये निवेशकों को सुरक्षा और विकास दोनों का संतुलन प्रदान करते हैं।

निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी

AMFI के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2025 में हाइब्रिड फंड्स का मैनेजमेंट ₹10.7 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 20% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्शाता है। खास बात यह है कि सिर्फ मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स में ही अगस्त महीने में ₹3,528 करोड़ का निवेश हुआ, जो इस कैटेगरी में निवेशकों की बढ़ती भरोसेमंदी और रुचि को दिखाता है।

निप्पॉन इंडिया मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड और ओमनी फंड ऑफ फंड ऐसे प्रमुख फंड्स हैं जो निवेशकों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। खास बात यह है कि ओमनी फंड क्वांट मॉडल का इस्तेमाल करता है, जो सही समय पर सही जगह निवेश करता है। ये दोनों फंड्स इक्विटी, डेट और सोना-चांदी में संतुलित पोर्टफोलियो बनाकर निवेशकों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं, जिससे निवेश सुरक्षित और फायदा ज्यादा हो जाता है।

निवेशकों के लिए विकल्प

निवेशक इन फंड्स में एकमुश्त निवेश कर सकते हैं या फिर SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए धीरे-धीरे पैसा लगा सकते हैं। इसके अलावा, इस तरह निवेश करने से टैक्स में भी फायदा मिलता है और आपका पोर्टफोलियो विविध बना रहता है, जिससे जोखिम कम होता है और बेहतर रिटर्न की संभावना बढ़ती है।

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