ग्रामीण भारत की ग्रोथ में पैसा लगाने का मौका! कोटक म्यूचुअल फंड लाया 'कोटक रूरल ऑपर्च्युनिटीज फंड', NFO खुला
यह फंड मुख्य रूप से उन कंपनियों के शेयरों और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके लंबी अवधि में पूंजी बढ़ाना चाहता है, जो भारत के ग्रामीण बदलाव से जुड़े हैं या उससे फायदा उठा रहे हैं। इस स्कीम का बेंचमार्क इंडेक्स Nifty Rural Total Return Index है।

NFO: कोटक म्यूचुअल फंड ने 'कोटक रूरल ऑपर्च्युनिटीज फंड' लॉन्च करने की घोषणा की है। यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है जो ग्रामीण और उससे जुड़े थीम पर फोकस करेगी। इस फंड का न्यू फंड ऑफर (NFO) गुरुवार 6 नवंबर से खुल चुका है। निवेशक इसमें 20 नवंबर तक पैसा लगा सकते हैं।
यह फंड मुख्य रूप से उन कंपनियों के शेयरों और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके लंबी अवधि में पूंजी बढ़ाना चाहता है, जो भारत के ग्रामीण बदलाव से जुड़े हैं या उससे फायदा उठा रहे हैं। इस स्कीम का बेंचमार्क इंडेक्स Nifty Rural Total Return Index है।
न्यूनतम निवेश कितना?
आप इस फंड में महज 500 रुपये से SIP शुरू कर सकते हैं। वहीं अगर आप LumpSum निवेश करना चाहते हैं तो उसके लिए न्यूनतम 1000 रुपये का निवेश करना होगा।
यूनिट अलॉटमेंट की तारीख से 90 दिनों के अंदर रिडीम या स्विच आउट करने पर 0.5% का एक्जिट लोड लगेगा। 90 दिनों के बाद एक्जिट लोड नहीं होगा। इस फंड का मैनेजमेंट अर्जुन खन्ना (इक्विटी) और अभिषेक बिसन (डेट) मिलकर करेंगे।
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने कहा कि अब ग्रामीण भारत सिर्फ कृषि तक सीमित नहीं है; यह 'भारत' (यानी ग्रामीण भारत) की नई विकास सीमा है। वित्तीय समावेशन से लेकर डिजिटल कनेक्टिविटी और स्थानीय विनिर्माण तक, ग्रामीण भारत अवसर, आकांक्षा और नीतियों से प्रेरित एक बड़े बदलाव का गवाह बन रहा है। बढ़ती ग्रामीण आय और खपत अब भारत की व्यापक आर्थिक कहानी का एक अभिन्न अंग है। कोटक रूरल ऑपर्च्युनिटीज फंड निवेशकों को इस बदलाव में भाग लेने में मदद करना चाहता है।
फंड हाउस ने बताया कि ग्रामीण भारत कृषि से आगे बढ़ रहा है, अब लगभग 40% ग्रामीण श्रमिक गैर-कृषि नौकरियों में लगे हुए हैं। 2018 से महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी लगभग दोगुनी हो गई है, जिससे दोहरी आय वाले परिवारों में वृद्धि हुई है। एक रिलीज में फंड हाउस ने बताया कि ग्रामीण खर्च का आधे से अधिक हिस्सा अब गैर-खाद्य वस्तुओं पर हो रहा है, जो आय, आकांक्षा और खपत के गतिशील केंद्रों की ओर बदलाव का संकेत देता है।