चांद पर मानव मिशन भेजने का ISRO का पूरा प्लान क्या है?
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय को भेजने का लक्ष्य 'मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में हमारे समर्पण और अगली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है।' यह बयान उन्होंने मंगलवार को दिल्ली में भारतीय अंतरिक्ष संघ द्वारा आयोजित इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव में दिया।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय को भेजने का लक्ष्य 'मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में हमारे समर्पण और अगली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है।' यह बयान उन्होंने मंगलवार को दिल्ली में भारतीय अंतरिक्ष संघ द्वारा आयोजित इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव में दिया।
अंतरिक्ष में भारत की प्रगति: सूर्य मिशन और आगामी प्रोजेक्ट्स
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अगले महीने सूर्य के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ एक सैटेलाइट लॉन्च करेगा। भारत का सौर मिशन, सूर्ययान आदित्य एल-1, पहले से ही सूर्य की कक्षा में पहुंच चुका है, जो इस क्षेत्र में भारत की उपलब्धि को दर्शाता है।
स्पेस सेक्टर में 450 निजी कंपनियों की भागीदारी
सोमनाथ ने कहा, "भारत का विजन 2047 स्पेस प्रोग्राम और स्पेस इकोनॉमी के विस्तार का दीर्घकालिक लक्ष्य है। यह एक ऐसे भविष्य की बात करता है जिसमें आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नवाचार अंतरिक्ष से संचालित होंगे।" भारत में वर्तमान में 450 निजी कंपनियाँ अंतरिक्ष क्षेत्र में सैटेलाइट निर्माण और लॉन्चिंग में सक्रिय हैं।
चंद्रयान-4 मिशन को सरकार से मिली हरी झंडी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन की अवधि 36 महीने रखी गई है और इसके लिए 2104.06 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया है। इस मिशन में चंद्रयान-4 स्पेसक्राफ्ट, LVM-3 रॉकेट के दो सेट, और मिशन के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए स्पेस नेटवर्क और डिजाइन वेरिफिकेशन शामिल हैं।
चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग और मॉड्यूल डॉकिंग तकनीक
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कुछ समय पहले बताया था कि चंद्रयान-4 एक बार में लॉन्च नहीं होगा, बल्कि इसे दो हिस्सों में अंतरिक्ष में भेजकर जोड़ा जाएगा। इस डॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में भी किया जाएगा, जो इसरो के लिए एक नई तकनीकी उपलब्धि होगी।
2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन का लक्ष्य
चंद्रयान-4 का उद्देश्य न केवल चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना है बल्कि सैंपल्स लाकर उन्हें धरती पर वापस लाना भी है। इसके माध्यम से प्राप्त डॉकिंग तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण में मददगार साबित होगी। यह ISRO और भारत सरकार के विजन 2047 का हिस्सा है, जिसके तहत ISRO का लक्ष्य है कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तैयार हो और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर उतारा जा सके।
भारतीय स्पेस स्टेशन की संरचना और लॉन्चिंग योजना
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को कई हिस्सों में विभाजित कर अलग-अलग लॉन्च किया जाएगा, जो अंततः अंतरिक्ष में जोड़े जाएंगे। इसका पहला मॉड्यूल LVM3 रॉकेट के माध्यम से 2028 तक लॉन्च करने की योजना है। इस प्रोजेक्ट के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसे सरकार से अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में पाँच अलग-अलग मॉड्यूल को एक साथ जोड़ा जाएगा, जिस पर वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं।