'आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा तोड़ेंगे'- राहुल गांधी
तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण की शुरुआत हो चुकी है। इसी मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "मोदी जी, आज से तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण शुरू हो गया है। इससे मिलने वाले डेटा का उपयोग प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए नीतियां बनाने में किया जाएगा। जल्द ही यह महाराष्ट्र में भी होगा।"

तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण की शुरुआत हो चुकी है। इसी मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "मोदी जी, आज से तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण शुरू हो गया है। इससे मिलने वाले डेटा का उपयोग प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए नीतियां बनाने में किया जाएगा। जल्द ही यह महाराष्ट्र में भी होगा।"
राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह देश में जातिगत जनगणना को लेकर कदम नहीं उठाना चाहती है। उन्होंने कहा, "मैं मोदी जी से साफ कहना चाहता हूं- आप देशभर में जातिगत जनगणना को रोक नहीं सकते। हम इसे संसद में पास कराएंगे और आरक्षण पर लगी 50% की सीमा को भी तोड़ेंगे।"
6 नवंबर को नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन में राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की वकालत करते हुए कहा था कि इससे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के साथ हुए अन्याय को सामने लाने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा, "जातिगत जनगणना का असली अर्थ न्याय है, और कांग्रेस पार्टी आरक्षण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण को ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम बताते हुए पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने आज जाति-आधारित सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। 80,000 सर्वेयर राज्य के 33 जिलों में जाकर 1.17 करोड़ से अधिक घरों को कवर करेंगे। 1931 के बाद यह पहला मौका है जब तेलंगाना में सरकारी स्तर पर जातिगत सर्वेक्षण किया जा रहा है, जो एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है।"
जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी ने हैदराबाद में स्पष्ट किया था कि यह जातिगत सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना का पहला कदम है। इंडिया ब्लॉक की सरकार बनने पर इसे देशभर में लागू किया जाएगा। कांग्रेस का यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लगाए गए 50% की सीमा को हटाने और समाज में सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है।