World Spine Day पर जानिए, आखिर कैसे रीड़ की हड्डी की दर्द की समस्या को आप कर सकते हैं कम?
रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड में दर्द बने रहना एक आम प्रकार की समस्या हो गई है, यह समस्या लगभग हर व्यक्ति में देखने को मिल रही है। जिस प्रकार से सिटिंग वर्किंग कल्चर का जमाना आ गया है, चाहे वह वर्क फ्रॉम होम हो या फिर ऑफिस में सिटिंग जाब हो या कार में घूमना हो, शारीरिक क्रियाकलाप कम होने के कारण और खराब लाइफस्टाइल के कारण रीड़ की हड्डी से जुड़ी दर्द की समस्याएं बढ़ी हैं। इसीलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड स्पाइन डे’ मनाया जाता है।

रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड में दर्द बने रहना एक आम प्रकार की समस्या हो गई है, यह समस्या लगभग हर व्यक्ति में देखने को मिल रही है। जिस प्रकार से सिटिंग वर्किंग कल्चर का जमाना आ गया है, चाहे वह वर्क फ्रॉम होम हो या फिर ऑफिस में सिटिंग जाब हो या कार में घूमना हो, शारीरिक क्रियाकलाप कम होने के कारण और खराब लाइफस्टाइल के कारण रीड़ की हड्डी से जुड़ी दर्द की समस्याएं बढ़ी हैं। इसीलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड स्पाइन डे’ मनाया जाता है।
क्यों आवश्यक है लोगों को जागरूक करना:
डॉ. विकास टंडन, चीफ ऑफ, स्पाइन सर्विसेज, इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर, दिल्ली
वर्ल्ड स्पाइन डे पर लोगों को जागरूक करना इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि अधिकतर लोग इसमें लापरवाही बरतते हैं, वे इस दरमियान दर्द को नजरअंदाज करते हैं और उनकी यह लापरवाही बाद में बड़ा रूप ले लेती है, जिससे आपकी रीड की हड्डी डैमेज भी हो सकती है। इससे आपकी कमर में दर्द, स्कोलाइसिस, हर्निएटेड डिस्क, डिस्क प्रॉब्लम, अर्थराइटिस, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और यह आपको अत्यधिक तकलीफ दे सकती हैं। ऐसे में इस प्रकार के आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ कायरोप्रैक्टिक (WFC) द्वारा वर्ल्ड स्पाइन डे की शुरुआत 16 अक्टूबर 2008 को हुई थी। इस समय की बात करें तो वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ कायरोप्रैक्टिक 800 से अधिक संगठनों के सहयोग से वैश्विक स्तर पर रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
डॉ. नवीन एस तहसीलदार, कंसल्टेंट स्पाइन सर्जन, स्पर्श हॉस्पिटल
रीड़ की हड्डी की समस्या से बचने के लिए आपको कुछ खास बातों पर ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक:
1. यदि आप अधिक लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहते हैं तो यह आपके लिए हो सकता है खतरनाक-
लगातार बैठे रहने के कारण रीढ़ की हड्डी का सामान्य संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है जिसके कारण रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ सकता है। इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए लगातार बैठे रहने से बचें। अगर आपकी डेस्क जॉब है तो थोड़ी-थोड़ी देर के बाद उठकर आसपास टहल लें। शरीर की समय-समय पर स्ट्रेचिंग करते रहें, इससे भी रीढ़ की समस्याओं से बचे रहने में मदद मिल सकती है।
2. नियमित व्यायाम से काफी हद तक आपको मिल सकती है रीड़ की हड्डी के दर्द से राहत-
रीढ़ के साथ शरीर की अन्य हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में रहने से रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है। नियमित टहलें, तैराकी करें, योग-व्यायाम की आदत आपकी रीढ़ को स्वस्थ रखने और तनाव के कम करने में आपके लिए मददगार साबित हो सकती है। शारीरिक रूप से सक्रियता बनाए रखने से रीढ़ की हड्डी की समस्याओं को कम किया जा सकता है।
3. अगर रीड़ की समस्याओं को दूर करना है तो अपने आहार पर दें अतिरिक्त ध्यान-
रीढ़ की समस्याओं को दूर करने के लिए सही और संतुलित आहार का चयन करना भी आवश्यक है। अधिक वसा वाले डेयरी उत्पाद, लाल मांस, रिफाइंड चीनी और प्रीजर्वेटिव खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। कैल्शियम, मैग्नीशियम, ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। शरीर को स्वस्थ रखने के साथ वजन को भी नियंत्रित रखें। यह रीढ़ की सेहत को ठीक रखने में आपकी मदद करेगा।