दिल की बीमारियों को सीरियसली नहीं लेते भारतीय, सर्वे में हुआ खुलासा
देश की लीडिंग प्राइवेट जनरल इंश्योरेंस कंपनी, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने आज अपने इंडिया वेलनेस इंडेक्स 2024 का 7वां संस्करण जारी किया है। यह देश के हेल्थ और वेलनेस की विस्तार से तस्वीर पेश करती है। इस लेटेस्ट स्टडी से एक चिंताजनक ट्रेंड का पता चला है। देश में भले ही 89 फीसदी लोग हृदय संबंधित रोग (हार्ट डिजीज) के लक्षणों के बारे में जागरूक होने का दावा करते हैं, लेकिन स्टडी में पता चला है कि सिर्फ 25 फीसदी भारतीय ही हृदय रोग के लक्षणों की सटीक पहचान कर सकते हैं।

विस्तार से जारी की गई यह रिपोर्ट डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजीज के बढ़ रहे असर और अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्या में बेहतर स्वास्थ्य को लेकर उभर रही गतिशीलता को भी दिखाती है।
ICICI लोम्बार्ड का वेलनेस इंडेक्स
ICICI लोम्बार्ड का वेलनेस इंडेक्स ऐसे ढांचे पर आधारित है, जिसमें 6 पिलर यानी स्तंभ शामिल हैं। ये पिलर फिजिकल (शारीरिक), मेंटल (मानसिक), फैमिली (पारिवारिक), फाइनेंशियल (वित्तीय), वर्कप्लेस और सोशल (सामाजिक) हैं। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड द्वारा किए गए सर्वे में अलग अलग क्षेत्रों में रहने वाले अलग अलग ग्रुप को शामिल किया गया, जिसमें एनसीसीएस ए और बी श्रेणियों के 18 से 50 साल की आयु के 69 फीसदी और 31 फीसदी महिलाएं शामिल थीं।
स्टडी में देश भर के 19 शहरों को शामिल किया गया
स्टडी में देश भर के 19 शहरों को शामिल किया गया, जिससे शहरी भारत में स्वास्थ्य को लेकर किस तरह की जागरूकता है, वेलनेस की क्या स्थिति है, इसकी सही तस्वीर सामने लाई जा सके।
यह रिपोर्ट हार्ट हेल्थ (Cardiovascular Health) और वेलनेस के 6 पिलर के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर जोर देती है। फिजिकल हेल्थ का ओवरआल वेलनेस में 58% योगदान है, यानी यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। यह सही तरीके से की जा रही एक्सरसाइज और डाइट (आहार) के माध्यम से हृदय को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेंटल वेलनेस, ओवरआल वेलनेस में 18 फीसदी योगदान देता है, और यह स्ट्रेस मैनेजमेंट के माध्यम से किसी के हृदय के स्वास्थ्य पर असर डालता है। अन्य पिलर्स - फाइनेंशियल, सोयाल, फैमिली और वर्कप्लेस वेलनेस - सभी तरह की जीवनशैली के विकल्पों को प्रभावित कर, इमोशनल सपोर्ट (भावनात्मक रूप से समर्थन) देकर और तनाव के कारणों को कम कर, हृदय को स्वस्थ रखने में योगदान देते हैं।
ICICI Lombard में हेड - मार्केटिंग, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस एंड सीएसआर, शीना कपूर
ICICI Lombard में हेड - मार्केटिंग, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस एंड सीएसआर, शीना कपूर ने इस रिपोर्ट पर कहा कि हमारा 2024 वेलनेस इंडेक्स भारत में हेल्थ की वर्तमान स्थिति पर एक तस्वीर सामने लाता है। शारीरिक स्वास्थ्य, पारिवारिक गतिशीलता और वित्तीय स्तर पर स्थिरता में युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के कारण उनके वेलनेस इंडेक्स में 3 अंक की गिरावट आई है। विशेष रूप से हमारे युवाओं में तनाव का स्तर बढ़ रहा है, जिससे हृदय से जुड़े स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता में कमी आ रही है, यह देश में तुरंत प्रभाव से अधिक प्रभावी हेल्थ एजुकेशन की जरूरत की ओर इशारा करता है।
हेल्थ टेक्निक को अपनाने से बेहतर और आशाजनक समाधान
हेल्थ टेक्निक को अपनाने से बेहतर और आशाजनक समाधान मिलते हैं, जबकि कॉर्पोरेट वेलनेस से जुड़ी चुनौतियां, टारगेटेट पहल की मांग करती हैं। जैसा कि हम वर्ल्ड हेल्थ डे मना रहे हैं, व्यापक हार्ट हेल्थ एजुकेशन के साथ-साथ इन जानकारियों ने हेल्थ और मेंटल वेलनेस के लिए इनोवेटिव यानी नए तरह के इंश्योरेंस की आवश्यकता को सामने ला दिया है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, इन स्टडी में मिले निष्कर्षों का लाभ उठाकर ऐसे कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो जागरूकता की कमी को पूरा करें, हृदय संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा दे और पीढ़ी दर पीढ़ी बेहतर स्वास्थ्य को भी बढ़ावा दे।
करीब 84% भारतीय हृदय की अलग अलग स्थिति
करीब 84% भारतीय हृदय की अलग अलग स्थितियों के बारे में जानते हैं, लेकिन सटीक लक्षणों को पहचानने में पीछे रह जाते हैं। सिर्फ 40% सीने में दर्द या बेचैनी को हृदय संबंधी समस्याओं से जोड़ते हैं, और सिर्फ 36% लोग सांस की तकलीफ को एक संभावित लक्षण के रूप में पहचानते हैं। इसके अलावा, 33% गलत रूप से मानते हैं कि अनियमित नींद की आदतें हृदय संबंधी रोग के लिए एक रिस्क फैक्टर है, जो वास्तविक कार्डियोवास्कुलर यानी हृदय संबंधी रिस्क फैक्टर्स और इससे जुड़े लक्षणों पर प्रभावी शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
कॉर्पोरेट इंडिया का वेलनेस चैलेंज
कॉर्पोरेट कर्मचारियों के बीच मेंटल वेलनेस (मानसिक स्वास्थ्य) 60 के लेवल पर है, जो कुल पॉपुलेशन स्कोर 69 से काफी कम है। कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए फाइनेंशियल वेलनेस 54 के लेवल पर है, जबकि सामान्य आबादी के लिए यह 63 पर है, जो वर्कप्लेस वेलनेस पहल की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करता है।
हेल्थ टेक अपनाने से वेलनेस स्कोर बढ़ता है
स्टडी से हेल्थ टेक्नोलॉजीज के उपयोग और ओवरआल वेलनेस के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध का पता चलता है। फिटनेस ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों का वेलनेस स्कोर 72 है, जबकि उपयोग न करने वालों का स्कोर 54 है। यह 18 प्वॉइंट का अंतर व्यक्तिगत रूप से बेहतर स्वास्थ्य के लिए हेल्थ टेक्निक अपनाने के सकारात्मक प्रभाव को दिखाता है।
सोशल मीडिया: वेलनेस के लिए बने मॉडर्न गाइड
70% भारतीय बेहतर स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करने या जानने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, जिसमें इंस्टाग्राम (87%) और यूट्यूब (81%) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मेंटल हेल्थ को लेकर बढ़ रही हैं चिंताए
80% भारतीय नियमित रूप से तनाव के कम से कम एक लक्षण का अनुभव करते हैं, महिलाओं में इसकी व्यापकता अधिक बताई गई है। तनाव या अवसाद के लक्षणों से मुक्त लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, वहीं उनका फैमिली वेलनेस स्कोर काफी अधिक होता है।
जेनरेशन वेलनेस
जबकि जेन एक्स ने ओवरआल वेलनेस में सुधार दिखाया है, जो 68 से बढ़कर 70 हो गया है, युवाओं को फिजिकल, फैमिली और फाइनेंशियल वेलनेस में गिरावट के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दिलचस्प बात यह है कि जेन जेड और जेन एक्स के बीच धूम्रपान की आदतें तुलना करने योग्य हैं, जेन जेड और जेन एक्स के 26% लोग नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं।