क्या Google Maps की गलती से गई 3 युवकों की जान? जानें नेविगेशन सिस्टम कैसे करता है काम

गूगल मैप्स के माध्यम से रास्ता देखते हुए शादी में जा रहे तीन युवकों की कार पुल से गिरने की दर्दनाक घटना चर्चा में है। यह हादसा 23 नवंबर को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ, जिसमें तीनों युवकों की जान चली गई। यह पहली बार नहीं है जब नेविगेशन ऐप पर अत्यधिक निर्भरता से ऐसा हादसा हुआ हो। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

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By Ankur Tyagi:


गूगल मैप्स के माध्यम से रास्ता देखते हुए शादी में जा रहे तीन युवकों की कार पुल से गिरने की दर्दनाक घटना चर्चा में है। यह हादसा 23 नवंबर को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ, जिसमें तीनों युवकों की जान चली गई। यह पहली बार नहीं है जब नेविगेशन ऐप पर अत्यधिक निर्भरता से ऐसा हादसा हुआ हो। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

गूगल मैप्स आज नेविगेशन के क्षेत्र में अग्रणी है और रोजाना करोड़ों लोग इसका उपयोग अपने सफर को प्लान करने के लिए करते हैं। इसमें सड़क मार्ग, मोड़ और लेन की सटीक जानकारी दी जाती है। हालांकि, इस घटना ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि गूगल मैप्स जैसी अग्रणी तकनीक ऐसी गंभीर गलती कैसे कर सकती है।

गूगल मैप्स कैसे काम करता है?

गूगल मैप्स की तकनीक का सटीक विवरण कंपनी का गुप्त व्यवसायिक रहस्य है, लेकिन यह डीज्क्स्ट्रा एल्गोरिदम जैसे तकनीकों का उपयोग करता है, जो किसी बिंदु ए से बिंदु बी तक की सबसे छोटी दूरी की गणना करता है।
गूगल मैप्स का सुझाव दो मुख्य स्रोतों से मिलता है:

अन्य यूजर्स का डेटा

स्थानीय प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी
मैप्स में "रोड अपडेट" फीचर होता है, जो यूजर्स को बंद या गायब सड़कों की रिपोर्ट करने की सुविधा देता है।

स्थानीय डेटा साझेदारी का महत्व

गूगल मैप्स ने भरोसेमंद भू-स्थानिक डेटा के लिए निजी संगठनों और स्थानीय प्रशासन के साथ साझेदारी की है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में कौन-कौन से प्रशासन इस साझेदारी में शामिल हैं।
बरेली हादसे में, एक वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि गूगल के साथ कोई ट्रैफिक डेटा साझा किया गया था या नहीं।

बरेली हादसे की वजह

23 नवंबर की रात, नितिन कुमार और उनके रिश्तेदार अजीत और अमित गुरुग्राम से बरेली की ओर जा रहे थे। रास्ते में रामगंगा नदी पर स्थित पुल का एक हिस्सा पहले ही गिर चुका था। लेकिन, गूगल मैप्स उन्हें उसी पुल का रास्ता दिखा रहा था।
स्थानीय पुलिस ने ड्राइवर के फोन में गूगल मैप्स खुला पाया, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह नेविगेशन ऐप का उपयोग कर रहे थे।

क्या यह हादसा टाला जा सकता था?

रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ राज भगत कहते हैं कि यह समस्या सिर्फ गूगल मैप्स तक सीमित नहीं है। अन्य नेविगेशन ऐप्स जैसे MapMyIndia और Bhuvan पर भी ऐसा मार्ग दिखाई देता है।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा मिशन के प्रमुख अमित यादव ने कहा कि गूगल के एल्गोरिदम को इस विसंगति का पता लगाना चाहिए था। अगर पुल का उपयोग लंबे समय से नहीं हुआ, तो गूगल को इसे बंद दिखाना चाहिए था।

गूगल की प्रतिक्रिया

गूगल ने घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा,

"हम परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और इस मामले की जांच में अधिकारियों को हरसंभव सहायता प्रदान कर रहे हैं।"

हालांकि, गूगल ने भारत में स्थानीय डेटा साझेदारी को लेकर किए गए सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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