दिल्लीवालों के बुरी खबर! जहरीला प्रदूषण AQI 200 के पार
पिछले साल भी अक्टूबर के दिनों में हवा में घुलते जहर की चर्चा थी। इस बार भी वही शोर है। पिछले साल भी सरकार हवा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के उपायों की बात रही थी। इस बार भी सरकार वही कर रही है। पिछली बार भी प्रदूषित हवा को लेकर सियासी शोर था। इस बार भी वही कुछ हैं।

पिछले साल भी अक्टूबर के दिनों में हवा में घुलते जहर की चर्चा थी। इस बार भी वही शोर है। पिछले साल भी सरकार हवा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के उपायों की बात रही थी। इस बार भी सरकार वही कर रही है। पिछली बार भी प्रदूषित हवा को लेकर सियासी शोर था। इस बार भी वही कुछ हैं। ऐसे में पूछा जा रहा है कि क्या साल भर बाद हम वहीं खड़े हैं जहां पिछली बार खड़े थेऔर क्या इस साल भी हमें साफ हवा के लिए उसी तरह मशक्कत करनी होगी जैसी पिछली बार करनी पड़ी थी।
दिल्ली सरकार पिछले कई सालों से दिल्ली की हवा साफ करने के दावे करती रही है... इस बार भी उसका दावा यही है... कागजों पर हवा के शुद्धिकरण का प्लान तैयार है। लेकिन वो प्लान इस बार जमीन पर कितना खरा उतरेगा इसकी परीक्षा बाकी है, फिलहाल अक्टूबर के शुरुआती दिनों में जो हालात हैं। उससे तो यही लग रहा है कि साफ हवा की परीक्षा इस बार भी दिल्ली सरकार के लिए मुश्किल ही है। आज की बात करें तो सुबह दिल्ली का AQI 283 के करीब पहुंच गया। जिसे खराब कटेगरी का माना जाता है।
साफ हवा हमारा बुनियादी हक है...लेकिन साफ हवा के इस हक के लिए हर साल लोगों को इन दो तीन महीनों जूझना ही पड़ता है... केवल दिल्ली ही नहीं सांसों का संकट उत्तर भारत के और भी शहरों में है...यूपी की बात करें तो गाजियाबाद में भी हवा का स्तर बेहद खराब है। यहां कल AQI 271 दर्ज किया गया...इसी तरह ग्रेटर नोएडा में भी लोग साफ हवा के लिए जूझते नजर आए...जबकि नोएडा में कल हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 268 रहा। हाल ये है अब बच्चे भी जान गए हैं कि बाहर निकलना है मास्क पहनना है।