फेस्टिव सीज़न- खरीद-फरोख्त का खेल / खरीदारी के अवसर ही अवसर

नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और दीपावली का सीज़न है। ग्राहकों के लिए खरीदारी करना परंपरा भी है, मौका भी और मजबूरी भी। यही वजह है कि खरीदारी के शौकीन फेस्टीव सीज़न का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि तमाम ई-कॉमर्स कम्पनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए अपने-अपने प्रोड्क्टनस पर एक से बढ़कर ऑफर, कैशबैक और मुफ्त उपहार देती हैं। दरअसल ये कम्पनियां ग्राहकों की जरुरत और उनको लुभाने की कला बखूबी जानती है।

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By Franklin Nigam:

ग्राहकों को लुभाने का घमासान शुरू हो चुका है। ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ‘ऑफर ही ऑफर’ के बैनर लगाया जा चुके हैं। अमेजन मोबाइल फोन खरीदारों के ‘सुपर से भी ऊपर डील’ दे रहा है तो फ्लिपकार्ट टीवी और दूसरे इलैक्ट्रोनिक्स सामानों पर 50-80% तक ऑफ देकर लुभा रहे है। महिलाओं के लिए कॉस्मेटिक और फैशन के सामान बेचने वाली मशहूर नायका कम्पनी ने महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए 50% तक की छूट देना शुरु कर दिया है। इसी तरह मिशो भी 80% तक के ऑफर के साथ बाज़ार में अपनी जगह बनाने में जुटी है।

नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और दीपावली का सीज़न है। ग्राहकों के लिए खरीदारी करना परंपरा भी है, मौका भी और मजबूरी भी। यही वजह है कि खरीदारी के शौकीन फेस्टीव सीज़न का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि तमाम ई-कॉमर्स कम्पनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए अपने-अपने प्रोड्क्टनस पर एक से बढ़कर ऑफर, कैशबैक और मुफ्त उपहार देती हैं। दरअसल ये कम्पनियां ग्राहकों की जरुरत और उनको लुभाने की कला बखूबी जानती है।

फेस्टिव सीज़न में छूट का खेल

सदियों से त्योहारों के मौके पर घर में नया सामान घर लाने की परंपरा रही है। बाजारवाद ने भारतीयों की इस नब्ज को पकड़ लिया है। इसी को ध्यान में रखकतर त्योहारी सीज़न में कम्पवियां बड़े और लुभावने ऑफर्स की झड़ी लगा देती है। शारदा हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉक्टर निखिल नायर के मुताबिक, “जब ई-कॉमर्स कंपनियां भारी छूट और ऑफर देती हैं, तो ग्राहकों को ऐसा महसूस होता है कि यह एक विशेष मौका है, जिसे छोड़ना सही नहीं होगा। इस तरह की छूट उन्हें मानसिक रूप से यह अहसास कराती है कि वे अपने पैसे बचा रहे हैं, जो एक सुखद अनुभव होता है. साथ ही फेस्टिव सीजन में लोग अपने आसपास के लोगों को ज्यादा खरीदारी करते हुए देखते हैं। दोस्तों, परिवार के सदस्यों और सोशल मीडिया पर लोगों की बढ़ती खरीदारी देखकर भी लोग खरीदारी के लिए प्रेरित होते हैं.”

धनतेरस, जैसे फेस्टिवल पर तो भारत में सबसे ज्यादा खरीदारी की जाती है। ई-कॉमर्स कंपनियां धनतेरस के अवसर पर विशेष छूट, कैशबैक ऑफर, आकर्षक डील्स और पुराने सामान लेकर नए सामान पर छूट देती हैं। आकर्षक विज्ञापन, सोशल मीडिया प्रचार और फ्लैश सेल के माध्यम से ग्राहक इस ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा नो-कॉस्ट ईएमआई, बाय नाउ पे लेटर जैसी सुविधाएँ भी प्रदान करती हैं जिससे ग्राहक महंगी वस्तुएं भी आसानी से खरीद लेते हैं।

हालांकि इन दिनों रोज ही कुछ न कुछ ऑफर ई-कॉमर्स वेबसाइट चलते रहते हैं लेकिन फेस्टिव सीज़न के दौरान इनमें तेजी आ जाती है। Shagna Fashion की फाउंडर रिमा मिश्रा के मुताबिक “फेस्टिव सीजन के दौरान ऑफर देने से कंपनी के सेल पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है. फेस्टिव सीजन में ग्राहक खरीदारी के मूड में होते हैं, और डिस्काउंट या ऑफर उन्हें और भी ज्यादा आकर्षित करते हैं। कई ग्राहक खासकर फेस्टिव सीजन में अपने बजट का ध्यान रखते हुए बेहतर डील्स ढूंढते हैं। ऑफर्स जैसे "बाय वन, गेट वन", "फ्लैट डिस्काउंट", "लॉयल्टी पॉइंट्स" उन्हें अधिक फायदेमंद महसूस कराते हैं और ब्रांड से जुड़ाव बढ़ता है। ऑफर्स के जरिए आप उन ग्राहकों को भी आकर्षित कर सकते हैं जो पहली बार आपके ब्रांड के साथ जुड़ने वाले होते हैं.”

खरीदारी के ‘शुभ-अवसर’

फेस्टीव सीजन में ही नए-नए सामान को खरीदना भारतीय शुभ मानते हैं। यही वजह है कि फेस्टीव सीज़न के आते है तमाम कम्पनियां ‘ऑफर ही ऑफर’ के बैनर लगवा देती हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी अमेज़न, फ्लिपकार्ट, नायका, मिशो जैसे बड़े शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स ने 'द बिग बिलियन डेज', 'ग्रेट इंडियन फेस्टिवल', ग्रैंड नवरात्रि सेल’, और ‘मेगा ब्लॉकबस्टर सेल’ जैसी ऑफर्स का ऐलान कर दिया है।

भारतीयों के लिए त्योहारों का समय खुशी और जश्न का होता है। इस समय लोग अपनों के लिए कुछ खास खरीदने का मन बनाते हैं। ईकॉमर्स कंपनियां इसी भावना का लाभ उठाकर लुभाने वाले विज्ञापनों से ग्राहकों के आकर्षित करने की हर रणनीति अपनाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये ऑफर्स और सेल असल में आपके लिए कितने फायदेमंद हैं, या ये कंपनियों की एक सुनियोजित रणनीति है जिससे वे अपना मुनाफा बढ़ाने में कामयाब रहती हैं?

कंपनियों की बड़े और आकर्षित करने वाले ऑफर के चक्कर में फंसकर ग्राहक न चाहकर भी अपनी जेब ढीली कर बैठते हैं। दरअसल कंपनियों ऑनलाइन ऑफर देकर ग्राहकों को एक निश्चित समय में खरीदारी करने का लालच देती हैं, जिससे ग्राहकों में एक दबाव महसूस होने लगता है कि वे शानदार ऑफर्स को गंवा न दें या कहीं ये ऑफर की तारीख खत्म न हो जाए। इस मनोवैज्ञानिक प्रभाव और सस्ती खरीदारी के लालच में ग्राहक उन चीजों पर भी खर्च कर देते हैं जो वास्तव में उनकी जरूरत में शामिल नहीं थी।

'नो-कॉस्ट EMI', 'एक्सचेंज ऑफर' जैसी योजनाओं के जरिए भी ग्राहक को यह महसूस कराया जाता है कि वह सस्ते में चीज़ें खरीद रहा है, अगर ये मौका छूट गया तो फिर उसे अगले ऑफर का इंतजार करना पड़ेगा। फ्लैश सेल्स और लिमिटेड पीरियड ऑफर्स जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके कंपनियां ग्राहकों को जल्दबाजी में निर्णय लेने के लिए मजबूर कर देती हैं। शारदा हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉक्टर निखिल नायर के मुताबिक फेस्टिव सीजन में ईकॉमर्स कंपनियां आसान भुगतान विकल्प जैसे नो-कॉस्ट EMI, कैशबैक ऑफर, और क्रेडिट कार्ड पर छूट देती हैं। यह ग्राहकों को वित्तीय रूप से कम बोझ महसूस कराता है, और उन्हें यह लगता है कि बिना किसी अतिरिक्त खर्च के वे बड़ी खरीदारी कर सकते हैं।

फेस्टिव सीज़न में कम्पनियों को मुनाफा ही मुनाफा

Redseer Strategy Consultants के आंकड़ों के मुताबिक 2023 में भारत के ई-कॉमर्स बाजार में त्योहारी सीज़न के दौरान 42% की वृद्धि हुई थी, जिसमें फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी कंपनियों ने लगभग ₹50,000 करोड़ की बिक्री की थी। वर्ष 2023 के त्योहारी सीज़न के पहले सप्ताह में ही 47,000 करोड़ रुपये का ग्रॉस मर्चेंडाइज़ वैल्यू (जीएमवी) दर्ज किया गया था. यह पिछले साल यानि 2022 के मुकाबले करीब 19% ज़्यादा था। Redseer के ही मुताबिक फेस्टीव सीज़न के दौरान ऑफर्स के कारण मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू सामानों की सबसे ज्यादा बिक्री दर्ज़ की गयी थी। कुल बिक्री में इनका कुल योगदान करीब 67% रहा था।

यहीं नहीं घरेलू सामानों के अलावा फेस्टीव सीज़न में ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी खरीदारी अचानक से बढ़ जाती है। वर्ष 2023 के त्योहारी सीज़न में कारों की बिक्री में सालाना आधार पर 10 फ़ीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई थी। पिछले वर्ष फेस्टीव सीजन के शुरुआती 42 दिनों में ही 5,47,246 कारें बिक्री हुई थी। मार्केट रिसर्च फ़र्म डेटम इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री 12 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच सकती है. पिछले साल इस सीज़न में करीब 9.7 बिलियन डॉलर के सामानों की ऑनलाइन बिक्री हुई थी। इस बार भी त्योहारी सीजन के दौरान स्मार्टफोन और बड़े कंज्यूमर ड्यूरेबल और फैशन पर अधिक खरीदारी की उम्मीद की जा रही है।

कंपनियां अक्सर अपने प्रोड्क्ट्स पर भारी छूट का एलान करती हैं और ये छुट 25% से लेकर 70% तक की हो सकती है। यहीं ग्राहक डिस्काउंट के लालच में आकर अपनी जेब ढीली कर बैठता है। कई बार तो वो प्रोड्क्ट्स ग्राहक की तत्काल जरुरत नहीं होते। ऐसे में ग्राहक सस्ते दामों में खरीद कर खुश रहता है लेकिन सच्चाई में वह मार्केटिंग के जाल में फंस चुका होता है।

आखिरकार ग्राहकों से लेकर प्रोड्क्ट बनाने वाली और ई-कॉमर्स जैसी कम्पनियां यानि सभी के लिए फेस्टिव सीज़न एक विशेष मौका होते हैं। एक खरीद कर लाभ उठाता है तो दूसरा बेचकर मुनाफा कमाता है। सही मायने में इसे ही बाजारवाद का खेल कहते हैं।

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